नापसंद आते-आते यह किताब बहुत पसंद आ गयी। एक भारतीय लड़की की अकेली यूरोप यात्रा अपने आप में इसका एक्स-फैक्टर है। एक अपेक्षाकृत असामान्य चीज जो बड़े सामान्य अंदाज़ में मुमकिन हुई और दर्ज़ हुई। अनुराधा बेनीवाल की पुस्तक ‘आज़ादी मेरा ब्रांड’ का अनुभव
किताबें पढ़ते समय सभी विद्यार्थी इस समस्या से कभी न कभी गुजरते हैं कि चीजें याद नहीं रहती। इसकी तरकीबें कई हैं और सदियों से चली आ रही है। अपने अनुभव से कुछ इसी विषय में
ख़ुशहाली क्या वाक़ई परिभाषित की जा सकती है या यह सब बस एक तिलिस्म है? स्वास्थ्य, शिक्षा और सामाजिक समरसता की बहाली क्या कोई लोकतांत्रिक सरकार करने में सक्षम हो सकती है? क्या मीडिया स्वतंत्र हो सकती है? क्या अमीरी-ग़रीबी के भेद वाक़ई मिट सकते हैं? क्या मुमकिन है और क्या नहीं? और अगर मुमकिन है तो आख़िर कैसे?
किंडल पर पुस्तक प्रकाशित करना बहुत ही आसान है। लेकिन किंडल पर किताबों की भीड़ में अपनी किताब को अलग और बेहतर दिखाना सीख लेना चाहिए। इस लेख में अमेजन किंडल पर पुस्तक प्रकाशित करने की प्रक्रिया
गांधी ने लंदन में विद्यार्थी जीवन में भारतीय आहार पर भाषण दिया। इसमें सरल भाषा में भारत के अनाज और फल विदेशियों को समझाया। साथ-साथ भोजन बनाने की विधि भी।