खुशहाली का पंचनामा- नॉर्वे वृतांत
ख़ुशहाली क्या वाक़ई परिभाषित की जा सकती है या यह सब बस एक तिलिस्म है? स्वास्थ्य, शिक्षा और सामाजिक समरसता की बहाली क्या कोई लोकतांत्रिक सरकार करने में सक्षम हो सकती है? क्या मीडिया स्वतंत्र हो सकती है? क्या अमीरी-ग़रीबी के भेद वाक़ई मिट सकते हैं? क्या मुमकिन है और क्या नहीं? और अगर मुमकिन है तो आख़िर कैसे?