चीन में हुए बॉक्सर विद्रोह को दोनों पक्षों ने क्रूर कहा। उन्नीसवीं सदी के अंत में चीन में इतना रक्त बहा कि चीन एक बार फिर घुटनों पर आ गया। इस खंड में चर्चा है उसी क्रांति की
चीनी राजतंत्र ने आख़िरी बार वापस खड़े होने की कोशिश की। उन्होंने ऐसे सुधार लाए जो चीन का भविष्य बदल सकते थे। लेकिन, नियति उन्हें किसी और ही दिशा में ले गयी। सौ दिनों का सुधार फ्लॉप रहा। चीन शृंखला के इस खंड में बात होगी उस घटनाक्रम की
चीन के लिए पश्चिमी दुनिया से कदमताल मिलाना आवश्यक था। लेकिन तियान्जिन और पीकिंग की संधि अफीम युद्ध में हरा कर की गयी। चीन की शर्मिंदगी में इज़ाफ़ा तब हुआ जब जापान से भी हार मिली। इस खंड में चर्चा है चीन पर पश्चिम के प्रभाव और जापान की
अफ़ीम युद्ध चीन इतिहास का वह कालखंड है, जिसे चीन शर्मिंदगी के सौ साल (Century of shame) में गिनता है। चीन में हुई क्रांति से लेकर पश्चिम के प्रति शंका में इसका बड़ा योगदान है। आधुनिक चीन इतिहास के इस खंड में चर्चा होगी दूसरे अफ़ीम युद्ध की।
चीन में ईसाई धर्म का प्रवेश कई बार हुआ, लेकिन एक घटना ऐसी है, जो चीन के इतिहास का रक्तरंजित पन्ना है। जब चीन में एक ऐसी अलहदा ईसाईयत आयी जिसने उसकी नींव हिला कर रख दी। आधुनिक चीन इतिहास के प्रथम खंड में चर्चा होगी ऐसे ही एक विद्रोह की।