मानव ने जंगल छोड़ कर नदी किनारे बसना शुरू किया। कृषि और पशुपालन करने लगे। बेलन घाटी, मेसोपोटामिया, मिस्र, सिंधु घाटी सभ्यता बसाने लगे। इससे उन्होंने बहुत कुछ पाया। बहुत कुछ खोया।
रोम की ख़ासियत कहें या उसका ऐब कि उस शहर से मलबे और भग्नावशेष उठाए नहीं गए। वे शहर के केंद्र में अपनी उम्र के झुर्रियों के साथ मौजूद हैं। चाहे नीरो के जीर्ण-शीर्ण भवन हों, या वैटिकन मूल्यों से पेगन मंदिर, वे अब भी झाँक रहे हैं। इस आधुनिक मुर्दे के टीले की कहानी इस संस्मरण में
क्या पूरी दुनिया के पूर्वज एक ही थे? क्या सभी मानव अफ़्रीका से आए? यह बात हमें कैसे पता लगेगी? मानव इतिहास पर आधारित इस शृंखला के पहले खंड में इन प्रश्नों के हल ढूँढते हैं।
विवेक शुक्ल दिल्ली के चलते-फिरते ज्ञानकोश हैं। इस पुस्तक में उन्होंने गांधी और दिल्ली के संबंध को टटोला है। ऐसा लगता है जैसे हर चीज जो देख रखी है, उसमें बहुत कुछ देखना बाकी है।
लाला अमरनाथ भारतीय क्रिकेट के आदिपुरुष की तरह नज़र आते हैं। भले उनसे पहले और बाद में एक से एक क़द्दावर खिलाड़ी हुए, मगर लाला की छवि कायम है। डॉन ब्रैडमेन को हिट विकेट आउट करने वाले पहले खिलाड़ी की झोली में ऐसी कई चीजें है जो पहली बार मिली
ट्रांसवाल ऐडवर्टाइज़र में खबर छपी-‘एक भारतीय बैचलर ऑफ़ आर्ट्स मि. पिल्लई को डर्बन में एक फुटपाथ से धक्का दे दिया गया’। दरअसल यह मिस्टर पिल्लई कोई और नहीं, मोहनदास करमचंद गांधी थे। इस घटना के साथ विरोध का एक सिलसिला शुरू हुआ। उन चिट्ठियों को यहाँ पढ़ा जा सकता है
गांधी के लिए लंदन से बैरिस्टर होना नौकरी के लिए काफ़ी नहीं था। उन दिनों बंबई में ऐसे बैरिस्टरों की कमी नहीं थी। जाति से बहिष्कृत और पैसों से तंग गांधी की कुछ चिट्ठियाँ यहाँ पढ़ी जा सकती है।