लार्ड मकाले का एक भाषण ख़ासा विवादित रहा, और सोशल मीडिया युग में उसकी छवियाँ भी घूमती रहती है। पढ़ कर देखते हैं कि वास्तव में मकाले ने minutes on education 1835 में कहा क्या था।
यूरोप के लिए भारत का समुद्री रास्ता ढूँढना एक ऐसी पहेली थी जिसे सुलझाते-सुलझाते उन्होंने बहुत कुछ पाया। ऐसे सूत्र जो वे ढूँढने निकले भी नहीं थे। हालाँकि यह भारत की खोज नहीं थी। भारत से तो वे पहले ही परिचित थे। ये तो उस मार्ग की खोज थी जिससे उनका भविष्य बनने वाला था। यह शृंखला उसी सुपरिचित इतिहास से गुजरती है।
इसके पहले खंड में बात होती है आख़िरी क्रूसेड की।
राजनटनी और अम्बपाली के बाद उसी विषय पर गीता श्री की तीसरी पुस्तक एक पूरक बन जाती है। हसीनाबाद बस्ती से निकल कर सोनपुर मेले में नाचने वाली गोलमी के मंत्री बनने तक की यात्रा
हिरोशिमा पर गिरा एटम-बम हज़ारों जानें ले गया, मगर कुछ लोगों का यह बाल-बाँका भी नहीं कर सका। उन्होंने यह मंजर अपनी आँखों से देखा, और दशकों तक हिरोशिमा में ही रहे। पढ़ते हैं हिरोशिमा बम त्रासदी की कहानी, उन्हीं की ज़बानी
लॉर्ड्स जिसे क्रिकेट का मक्का कहा जाता है, वहाँ के हॉल ऑफ़ फेम में मात्र दो भारतीयों के तस्वीर है। वह तस्वीर सचिन तेंदुलकर या सुनील गावस्कर की नहीं है। ना ही महेंद्र सिंह धोनी या विराट कोहली की। लॉर्ड्स के इस मैदान की यात्रा करते हुए क्रिकेट का समूचा इतिहास जैसे सामने खड़ा हो जाता है। चलते हैं उस मुँडेर पर, जहां भारत के एक कप्तान ने अपनी टी-शर्ट उतार कर लहरायी थी
फ्रांज़ काफ़्का ने मरने से पहले कहा था कि उनकी अप्रकाशित कहानियाँ जला दी जाएँ। लेकिन जब वह छपी तो दुनिया ने उसे महान कृतियों में माना। ऐसा क्यों? आज बात काफ़्का की कहानियों की।
विज्ञान गल्प लिखने वाले कथाकार को नोबेल पुरस्कार मिलना कुछ अलग घटना थी। लेकिन इस दशक में अगर कोई कथाकार कृत्रिम प्रज्ञा पर उपन्यास लिखता है, तो उसकी दृष्टि भविष्य की है। लीक से हटकर है। आज जापानी मूल के दो लेखकों की किताबों पर बात
फ्रेंच लेखक एनी एर्नो अपनी ईमानदार आत्मकथाओं के लिए विख्यात हैं, और इसके लिए उन्हें नोबेल पुरस्कार भी मिला। आज उनकी किताब ‘अ गर्ल्स स्टोरी’ की बात जो उनके पहले यौन संबंध की कहानी है।
यहाँ किताबों की दुकान लाइब्रेरी कहलाती है। अठारहवीं सदी में लिस्बन शहर जल गया मगर वह किताबों की दुकान आज तक कायम है। आज चलते हैं लिवरेरिया बर्टैंड की सैर पर, जो दुनिया के सबसे पुराने सक्रिय पुस्तक विक्रेता हैं।
हरुकी मुराकामी अपने अदभुत शिल्प के लिए विश्व विख्यात हैं। चाहे पाठक किसी भी साहित्य विधा का मुरीद हो, उनकी कहानियाँ हमें अपने चंगुल में बाँध लेती है। आज उनकी दो मशहूर किताबों नॉर्वेजियन वुड और काफ़्का ऑन द शोर की बात