आइडिया से परदे तक
ऐसी किताबें पसंद आती है, जिसमें खामखा आडंबर नहीं होता और किसी प्राथमिक शिक्षक की तरह बेसिक से शुरू कर खेल-खेल में समझाया जाता है। लेखक समझाते हैं कि उपन्यास या अन्य गद्य के पाठक किताबों में रुचि वाले पढ़ाकू लोग हैं, जबकि फ़िल्म तो कोई भी देख लेता है।