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जब दुनिया की सबसे पुरानी किताब की दुकान देखी

यहाँ किताबों की दुकान लाइब्रेरी कहलाती है। अठारहवीं सदी में लिस्बन शहर जल गया मगर वह किताबों की दुकान आज तक कायम है। आज चलते हैं लिवरेरिया बर्टैंड की सैर पर, जो दुनिया के सबसे पुराने सक्रिय पुस्तक विक्रेता हैं।
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Booktown Fjaerland
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एक गाँव किताबों का

क्या यह मुमकिन है कि पहाड़ की वादियों में एक खूबसूरत गाँव बसा हो, जहाँ मीलों तक सिर्फ़ किताबें ही किताबें बिछी हो? ऐसे एक गाँव की तलाश में यह अनुभव
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Kachh Katha Abhishek Srivastav
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कच्छ नहीं देखा तो कुछ नहीं देखा

यात्रा संस्मरणों का ढर्रा कभी एक नहीं रहा, लेकिन इस विधा में हिंदी साहित्य नित नए प्रतिमान रच रहा है। यात्राएँ कई खेप में, कई चीजों को तलाश रही हैं। इंटरनेट युग में भी ऐसे अनसुलझे, अनजाने रहस्यों से परिचय करा रही है, जो बिना घाट-घाट पानी पीए नहीं मालूम पड़ेगी। अभिषेक श्रीवास्तव लिखित कच्छ कथा उसी कड़ी में
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Hitler cover
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हिटलर का रूम-मेट

एडॉल्फ हिटलर के तानाशाह हिटलर बनने में एक महत्वपूर्ण कड़ी है वियना में बिताए सत्रह से चौबीस वर्ष की उम्र का नवयौवन। उन दिनों उसके रूम-मेट द्वारा लिखे संस्मरण के आधार पर एक यात्रा उन बिंदुओं से, जो शायद यह समझने में मदद करे कि साधारण प्रवृत्तियाँ कैसे बदल कर विनाशकारी हो जाती है।
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Rome Poster 4
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रोम 4- इटली में पिज़्ज़ा नहीं खाते

दुनिया के तमाम इतालवी रेस्तराँ में जो भोजन मिलता है, वह ज़रूरी नहीं कि इटली के लोग भी प्रतिदिन खाएँ। जैसे भारतीय रेस्तराँ के लोकप्रिय भोजन भी भारतीय दिनचर्या के भोजन नहीं होते।
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Bhooton Desh Iceland Poster
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भूतों का एक देश

आइसलैंड यूरोप और अमरीका महादेशों के मध्य बीच समुद्र में एक अजूबा द्वीप है। उस हिमाच्छादित द्वीप में लोक कम है, लेकिन लोककथाएँ और मान्यताएँ जन्मी है। जहाँ आदमी और भूत सामंजस्य से रहते हैं, उसकी तफ्तीश में है यह यात्रा
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Rome Part 3 poster
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रोम 3- पोप का घर

रोम का ईसाईकरण एक लंबी प्रक्रिया रही। यहीं ईसाई धर्म का मुख्य केंद्र बना और पूरी दुनिया में फैला। कैसे मनाता है वैटिकन बड़ा दिन, यह इस खंड में
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Rome Part 2 poster
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रोम 2- मंदिर से गिरजाघर तक

रोम पहले मूर्तिपूजक था। वहाँ के मंदिरों को तोड़ कर या उनका रूपांतरण कर गिरजाघर बनाए गए। इससे रोम की सूरत कैसे बदली, इस पर चर्चा इस खंड में
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Rome part 1 poster
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रोम 1 – मलबों का शहर

रोम की ख़ासियत कहें या उसका ऐब कि उस शहर से मलबे और भग्नावशेष उठाए नहीं गए। वे शहर के केंद्र में अपनी उम्र के झुर्रियों के साथ मौजूद हैं। चाहे नीरो के जीर्ण-शीर्ण भवन हों, या वैटिकन मूल्यों से पेगन मंदिर, वे अब भी झाँक रहे हैं। इस आधुनिक मुर्दे के टीले की कहानी इस संस्मरण में
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Ladakh Part 8 poster
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लद्दाख 8- तुमचूर

बौद्ध धर्म समय के साथ खर्चीला और आडंबरी होता गया। लेकिन इससे संस्कृति में लोसार महोत्सव, संगीत और तुमचूर जैसी चीजें आयी। कभी रेशम मार्ग से जुड़े लद्दाख में आज भी ऐसे संसाधन छुपे हैं, जिस पर नज़र नहीं पड़ी। संस्मरण के आखिरी खंड में इन पर बात।
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