Meghalaya Part 3 poster
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मेघालय खंड 3- तीरंदाज़ जुआरी

मेघालय में खेला जाने वाला शिलॉन्ग तीर एक अजीबोग़रीब जुआ है, जिसमें कला भी है, भाग्य भी और स्वप्न भी। इस आखिरी खंड में उस तीर और जंगल की बात
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Meghalaya Part 2 poster
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मेघालय खंड 2- झाड़ू का पौधा

एशिया के सबसे स्वच्छ गाँव मेघालय में है। उस गाँव की सैर के साथ उत्तर-पूर्व की राजनीति को समझने की कोशिश हुई। ख़ास कर यह कि एक ईसाई बहुल या हिंदू अल्पसंख्यक राज्य में भाजपा किस तरह आगे बढ़ रही है।
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Meghalaya Poster Part 1
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मेघालय खंड 1- गुमनाम पत्थर

मेघालय उत्तर-पूर्व की बादलों से घिरी घाटियों में बसा ईसाई बहुल राज्य है। उसकी यात्रा एक पर्यटक की भाँति भी की जा सकती है। सांस्कृतिक भी। यूँ ही बतकही करते भी। इस यात्रा के पहले खंड में मेघालय के कुछ भूले-बिसरे पत्थरों की बातें
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Student Mohandas Gandhi
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क्या आपने गांधी का पहला इंटरव्यू पढ़ा है?

महात्मा गांधी पहले विद्यार्थी मोहनदास थे। बाइस वर्ष की उम्र में एक विद्यार्थी का दिया साक्षात्कार अपने आप में अनूठा है। इसमें गांधी का अपरिपक्व रूप भी है, और परिपक्वता की झलक भी
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Mahendra Tikait Delhi Poster
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किसान खंड 5- सुनो! इंडिया वालों!

दिल्ली में किसानों को लेकर जाना महेंद्र सिंह टिकैत का चरम बिंदु था। वहाँ राजनीति के संपर्क में आना उनके लिए कुछ हानिकारक भी रहा। लेकिन, वह दिन भी आया जब महेंद्र सिंह टिकैत का विरोध पेरिस पहुँचा। इस आखिरी खंड में उन घटनाओं पर बात
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Boxer rebellion China
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चीन खंड 5 – आदर्श मुक्केबाज़

चीन में हुए बॉक्सर विद्रोह को दोनों पक्षों ने क्रूर कहा। उन्नीसवीं सदी के अंत में चीन में इतना रक्त बहा कि चीन एक बार फिर घुटनों पर आ गया। इस खंड में चर्चा है उसी क्रांति की
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Mahendra Singh Tikait
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किसान खंड 4- मेरठ

मेरठ किसान सत्याग्रह आज तक के सबसे लंबे सत्याग्रहों में है। इसी से महेंद्र सिंह टिकैत को वह ज़मीन भी मिली जिसके बदौलत वह दिल्ली कूच कर सके। इस खंड में चर्चा उसी आंदोलन की
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Unwelcome Visitor Gandhi Poster
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नटाल का अनिष्ट आगंतुक (Unwelcome visitor)

जब गांधी पहली बार दक्षिण अफ़्रीका के नटाल कचहरी गए तो उन्हें पगड़ी उतारने कहा गया। इस घटना की खबर वहाँ अखबार में छपी जिसका शीर्षक था The Unwelcome Visitor। यह उसी खबर और गांधी के उत्तर का अनुवाद है।
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Mahendra Tikait meeting poster
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किसान खंड 3 – भाई! ऐसी है बात

महेंद्र सिंह टिकैत की लम्बे भाषणों में रुचि नहीं थी। उनका तरीक़ा था कि बात ऐसे हो जैसे गाँव के चौपाल में होती है। उन्होंने किसानों को बिना किसी राजनीतिक दल के सहारे अपनी बात रखने का गँवई हुनर दिया। इस खंड में चर्चा होगी ऐसे ही एक आरंभिक आंदोलन की।
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Mahendra Tikait addressing farmers
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किसान खंड 2- भारत के किसानों! एक हों!

भारत जैसे विशाल देश के किसानों को एक छत्र में लाना लगभग असंभव है। ऐसे प्रयास आज़ादी के पहले से होते रहे, किंतु सफल नहीं हुए। इस खंड में चर्चा होगी उन संगठनों की
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