उन्हें यह भी समझ आ गया था कि अधिकतर श्रोताओं को संगीत की रत्ती भर समझ नहीं। कुछ अभिजात्य परिवार से यूँ ही सज-धज कर आगे की कुर्सियों पर बैठे हैं, कुछ शौक से आए हैं, कुछ यूँ ही पकड़ कर लाए गए हैं, और कुछ बस आ गए।
बैजू अपने बेटे को ढूँढने कश्मीर की ओर पदयात्रा पर निकले। वहीं रास्ते में होशियारपुर जिले के एक गाँव में वह ठहरे, जो उनके नाम पर ‘बजवाड़ा’ नाम से मशहूर हुआ
मैं विज्ञान से जुड़ा व्यक्ति हूं और यह कल्पना करता रहता हूं कि विश्व का ऐसा कौन-सा वाद्य-यंत्र होगा जो मनुष्य के ‘वोकल कॉर्ड’ (स्वर-रज्जु) के सबसे करीब होगा. जिसके तार छेड़े जाएं तो गायन के समानांतर हो
एक दिन बाबा मैहर के राजा साहब के पास बैठे थे। वह शिकार के लिए बंदूकों की नली साफ करवा रहे थे। कई बंदूकों में जंग लग गयी थी, उसे किनारे रखवा देते।
बाबा ने कहा, “महाराज! इन बंदूक की नलियों को आप मुझे दे दें।”