साहित्य से जुड़े किसी भी व्यक्ति के लिए मुराकामी से अपरिचित होना नामुमकिन है। मगर मैंने कभी जापानी लेखक हरुकी मुराकामी को नहीं पढ़ा था। जैसे मैंने काफ्का को नहीं पढ़ा। मेरी रुचि कथेतर में अधिक रही है, तो कई नामचीन उपन्यासकार मेरी सूची में देर से आए या कभी नहीं आए।
बहरहाल अब मैंने मुराकामी की दो मशहूर किताबें बैक-टू-बैक पढ़ डाली। यह जानने के लिए वह ऐसा क्या लिखते हैं कि नोबेल पुरस्कार हर साल मिलते-मिलते रह जाता है। 1987 में जब उन्होंने ‘नॉर्वेजियन वुड’ लिखा और वह अंग्रेज़ी में अनूदित हुआ, दुनिया उन्हें जोर-शोर से पढ़ने लगी। वह स्वयं कुछ वर्षों बाद अमरीका जाकर बस गए। वह जापानी भाषा में लिखते रहे और उनके अंग्रेज़ी अनुवाद छपते चले गए। दुनिया भर में लाखों प्रतियाँ बिकती चली गयी। लेकिन क्यों? ऐसा क्या है मुराकामी में?
ज़ाहिर है मैंने भी सबसे पहले नॉर्वेजियन वुड नामक किताब उठायी। इस कौतूहल में भी कि भला इसका नॉर्वे से कोई रिश्ता हो। मगर इस किताब का नॉर्वे से कोई लेना-देना नहीं। यह तो ब्रिटिश बैंड ‘बीटल्स’ का एक गीत है, जहाँ से यह कहानी शुरू होती है। मुराकामी एक हवाई जहाज से उतरते हुए यह गीत सुनते हैं, और अपने अतीत में खो जाते हैं। यह किताब एक नॉस्टेल्जिया है। सत्तर के दशक की, जब दुनिया बदल रही थी। लोग हहुआए हुए हिप्पी की भाँति घूमते हुए निर्वाण तलाश रहे थे। नशा और सेक्स की उन्मुक्त उड़ान ले रहे थे। इसका न जाने कितना असर जापान पर पड़ा होगा, मगर मुराकामी कुछ ऐसी ही दुनिया का हिस्सा बन गए थे।
पाओलो कोएलो की किताब ‘हिप्पी’ (जो मैंने पढ़ी है) से यह किताब अलग है। बल्कि यह इस कालखंड के सभी किताबों (जो मैंने नहीं पढ़ी है) से भी अलग ही होगी। मुराकामी की दुनिया कुछ ज्यादा ही ‘खुली हुई’ और अविश्वसनीय है। इस कदर की मुराकामी खुद स्वीकारते हैं कि इतनी रंगीन ज़िंदगी तो मैंने कभी जी ही नहीं। किताब में जो भी लिखा है, वह गल्प है। इस किताब में बीसियों बार पलक झपकते ही, कहीं भी, कभी भी सेक्स हो जाता है। हालाँकि यह एक अश्लील साहित्य नहीं है, मगर इसका हिंदी अनुवाद हो तो उसी श्रेणी में डाल दिया जाएगा।
जैसे अगर अनुवाद करूँ तो-
“नाओको खड़ी हुई और एक-एक कर अपने गाउन के बटन खोलने शुरू किए। एक-एक कर सात बटन। उसने अपने कपड़े उतार दिए जैसे एक कीड़ा अपना खोल उतारता है। उसने अंदर कुछ नहीं पहना था। वह मेरे सामने नंगी खड़ी थी।”
यह पंक्तियाँ सबसे ‘साफ-सुथरी’ पंक्तियों में कही जाएगी। कई संदर्भ इससे एक-दो या चार-पाँच सीढ़ियाँ ऊपर हैं। खैर, यह तो जाहिर है कि यह प्रेम-कथा या कई प्रेम-कथाओं का मिश्रण है। लेकिन, इसमें क्या ख़ास है?
पहली ख़ासियत तो यह है कि चाहे चार सौ पृष्ठों की ‘नॉर्वेजियन वुड’ हो या छह सौ पृष्ठों की ‘काफ्का ऑन द शोर’, आप पन्ने पलटते चले जाते हैं। दोनों ही किताबें मैं बहुत तेज गति से पढ़ गया। इसकी वजह है गद्य का नशीलापन और सातत्य (कंटिन्यूटी)। भले ही कहानी बिखरी और उलझी हुई हो, मुराकामी का कहन कहीं भी बोझ नहीं बनता।
नॉर्वेजियन वुड की कहानी क्या है?
तोरू (जो मुराकामी स्वयं भी हो सकते हैं) का पहला प्रेम नाओको दरअसल उनके दोस्त की प्रेमिका थी। वही दोस्त जो एक दिन आत्महत्या कर लेता है। तोरू और नाओको के मध्य संबंध आधी किताब में मौजूद है, मगर उसे प्रेम कहा जाए या नहीं, यह पता नहीं। नाओको एक दिन किसी विचित्र स्थान पर चली जाती है। जो ‘समाज से बाहर’ किसी आश्रम जैसी जगह पर थी। जहाँ ‘उसके जैसे’ लोग जाते थे।
तोरू का दूसरा प्रेम मिदोरी अधिक पास है। उससे प्रेम की संभावना अधिक है। मगर जब नाओको मन में हो, तो यह प्रेम भी अधूरा-अधूरा सा ही है।
यह भले ही प्रेम त्रिकोण दिखे, मगर पुस्तक उस दिशा में नहीं ले जाती। तोरू पूरी किताब में कुछ रहस्य सुलझाता, और अपने आप को तलाशता नज़र आता है। पुस्तक के अंत में वह अपने पहले प्रेम के अंतिम क्रिया-कर्म में खड़ा दूसरे प्रेम के करीब जा रहा होता है, मगर वह किसी अजीब स्थान पर होता है।
पुस्तक की आखिरी पंक्तियाँ है- “पता नहीं मैं कहाँ था? जहाँ व्यक्तियों के आकार अनगिनत व्यक्ति चल रहे थे। मैं बार-बार मिदोरी को उस स्थान से आवाज़ दे रहा था, जो कोई स्थान ही नहीं था।”
मुराकामी की दूसरी ख़ासियत है इस दुनिया से बाहर किसी और दुनिया में ले जाना, मगर इसी दुनिया की कहानी कहना। गहरी नींद में देखे जा रहे किसी स्वप्न की तरह। उनकी कहानी में परत-दर-परत कई कहानियाँ कैद होती हैं।
काफ़्का ऑन द शोर की कहानी क्या है?
काफ़्का एक पंद्रह साल का युवक है, जो घर से भाग रहा होता है। उसकी भागती हुई कहानी इस उपन्यास की कहानी है। उसके पिता ने कहा था कि एक दिन वह अपने पिता की हत्या करेगा, अपनी माँ के साथ यौन संबंध बनाएगा। ईडीपस कॉम्प्लेक्स की तरह। चूँकि उसने अपनी माँ को कभी देखा नहीं था, और अपनी बहन की बचपन की तस्वीर ही देखी थी। तो यह मुमकिन था कि एक दिन वाकई जिस महिला से उसका संबंध बने, वह उसकी माँ हो। वह इन संभावनाओं से भाग रहा होता है।
कट 2
जापान के एक रहस्यमय जंगल में द्वितीय विश्व युद्ध का एक विचित्र रहस्य छुपा है। वहाँ कुछ ऐसा घटा था, जिसे कभी सार्वजनिक नहीं किया गया। नकाता, जो इस रहस्य का एक हिस्सा है, वह अनपढ़ है। वह समाज की नज़र में अल्पबुद्धि है। मगर उसकी ख़ासियत है कि वह बिल्लियों से संवाद कर सकता है। वह बिल्लियों से ऐसे बतियाता है, जैसे दो व्यक्ति बात करते हैं। उसे सरकार ने गुम हो चुकी बिल्लियाँ ढूँढने पर लगा रखा है। नकाता के अंदर एक अजूबा भविष्यदृष्टा भी है, जो यह भविष्यवाणी कर सकता है कि आज जिंदा मछलियों की बारिश होगी। और हो भी जाती है!
एक दिन बिल्लियों का एक ‘सीरियल किलर’ नकाता के सामने एक-एक कर बिल्लियों की आँतें निकाल कर उसका सर काटता चला जाता है। आखिर नकाता को न चाहते हुए भी उसकी हत्या करनी पड़ती है। यह व्यक्ति (जिसकी हत्या हुई) एक मशहूर कलाविद होता है। इसका दूसरा परिचय काफ़्का से भी जुड़ा होता है। आखिर यह काफ़्का का पिता होता है, और संभव है कि यह हत्या भी काफ़्का ने ही की हो!
लेकिन यह उपन्यास कोई मर्डर मिस्टरी नहीं है। इसके अंदर युद्ध और मानव-प्रवृत्ति से जुड़ी कई परते हैं। ऐसी प्रवृत्ति भी जो मनोविज्ञान के ईडीपस कॉम्प्लेक्स को हिंसक प्रवृत्ति और दुनिया में चल रहे तमाम युद्धों से जुड़ती हो।
पुस्तक की पंक्ति है-
“ऐसा कोई युद्ध नहीं जो किसी दूसरे युद्ध का अंत करे। बल्कि एक युद्ध दूसरे, और दूसरा युद्ध तीसरे को जन्म देता चला जा सकता है”
यह बात कई लोग अलग-अलग तरीके से कहते हैं कि मुराकामी जैसा शिल्प किसी कथाकार में नहीं। वह शिल्प एक भँवर की तरह है, जिसमें पाठक धँसता चला जाता है।
मुराकामी की एक तस्वीर है, जिसमें वह तमाम संगीत के रिकॉर्ड के बीच बैठे हैं, जो उनका निजी संग्रह है। महज संयोग नहीं कि इन दोनों ही किताबों के शीर्षक किसी न किसी गीत के शीर्षक हैं।

Author Praveen Jha narrates his experience about books Norwegian Wood and Kafka on the shore by Haruki Murakami.
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