नटाल का अनिष्ट आगंतुक (Unwelcome visitor)

Unwelcome Visitor Gandhi Poster
Unwelcome Visitor Gandhi Poster
जब गांधी पहली बार दक्षिण अफ़्रीका के नटाल कचहरी गए तो उन्हें पगड़ी उतारने कहा गया। इस घटना की खबर वहाँ अखबार में छपी जिसका शीर्षक था The Unwelcome Visitor। यह उसी खबर और गांधी के उत्तर का अनुवाद है।
Translation of the first newspaper article on Gandhi in South Africa, and his reply to the article. Translation by Praveen Jha

The Unwelcome visitor

‘नटाल मर्करी’, डर्बन, 26 मई, 1893

कल दोपहर कचहरी में एक भारतीय आकर गद्दी पर बैठा। उसने अच्छे कपड़े पहने थे, और वेश-भूषा से अंग्रेज वकील जैसा लग रहा था, जो प्रिटोरिया में किसी भारतीय का मुकदमा लड़ने जा रहा है। वह जब कचहरी आया, तो उसने अपनी हिंदुस्तानी पगड़ी पहने रखी और पगड़ी उतार कर सलाम भी नहीं किया, जिसे देख मजिस्ट्रेट नाराज हो गए। जब उससे परिचय पूछा गया, उसने खुद को बैरिस्टर बताया। उसने अपना कोई प्रमाण-पत्र भी नहीं दिखाया। जब वो वापस अपनी कुर्सी पर लौटा, तो उसे बताया गया कि यहाँ वकालत करने से पहले उसे सुप्रीम कोर्ट से इजाजत लेनी होगी। 

गांधी की अखबार को चिट्ठी

26 मई, 1893

सेवा में,

संपादक महोदय,

नटाल एडवायज़र (मर्करी)

डर्बन

आज जब आपके अखबार में मेरी चर्चा ‘The Unwelcome visitor’ (अनिष्ट आगंतुक) रूप में हुई, मैं अचंभित रह गया। 

मैं क्षमा चाहता हूँ अगर मजिस्ट्रेट मुझसे नाराज हो गए। यह सच है कि मैनें कचहरी में उन्हें पगड़ी उतार कर सलाम नहीं किया, लेकिन मुझे नहीं लगा कि इससे वो नाराज होंगें। जैसे यूरोप के लोगों के लिए टोपी उतार कर सलाम करना अदब है, उसी तरह भारतीयों के लिए पगड़ी सर पर रखना। बल्कि, मेरे समाज में बिना सर पर पगड़ी के किसी का अभिवादन करना अच्छा नहीं मानते। मैं तो इंग्लैंड में जब पार्टियों में जाता, तो पगड़ी पहन कर जाता, और अंग्रेज अच्छा मानते। भारत के कचहरी में भी वकील पगड़ी पहन कर जाते रहे हैं।

जहाँ तक झुक कर सलामी की बात है, बंबई में भी वकील जज़ के सामने झुकते नहीं। बल्कि, जज़ जब कमरे में आते हैं तो सब खड़े हो जाते हैं। कल मैं भी उनके आने पर खड़ा हो गया था।

आपने इससे भी एतराज किया है कि मैं बिना प्रमाण-पत्र के वकील की कुर्सी पर बैठ गया। मुझे कचहरी के मुंशी ने कहा था कि आज बैठ जाओ, और अगली बार प्रमाण-पत्र ले आना। मैनें मुंशी से दो बार पूछा था, और उसने ‘हाँ’ कहा।

लेकिन, मैं मजिस्ट्रेट साहब से क्षमा चाहता हूँ अगर उन्हें यह बातें बुरी लगी। 

आप अगर मेरा उत्तर अपने अखबार में छापेंगें, तो आपका आभारी रहूँगा।

आपका

मोहनदास करमचंद गांधी

क्या लिखा गांधी ने ब्रिटिश सरकार को पहली खुली चिट्ठी में? Click here to read first open letter to British Government by Gandhi.

 

Author translates the (in)famous newspaper article on Mohandas K Gandhi published in Natal Mercury. 

 

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