Begum Akhtar
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मेरे हमनफ़स मेरे हमनवा- बेगम अख़्तर की याद

‘अख़्तरी’ किताब सिर्फ़ शुभा मुद्गल के एक लेख के लिए भी पढ़ी जा सकती है। संगीत की एक प्राथमिक शिक्षा देती है वह अध्याय।
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Panchamrit Ashwini Dubey Rajkamal
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पंचामृत के पाँच संगीतकार कौन हैं?

इंदौर और देवास ने हिंदुस्तानी संगीत की दुनिया को समृद्ध किया है। अश्विनी कुमार दूबे वहाँ से पाँच महत्वपूर्ण नाम मंथन कर लाए हैं। रज़ा फ़ाउंडेशन और राजकमल प्रकाशन से छपी यह पुस्तक ज़रूर पढ़ी जानी चाहिए
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Mallikarjun Mansur Poster
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स्वरों का ख़ज़ाना नहीं, जलप्रपात थे मल्लिकार्जुन मंसूर

पु ला देशपाण्डे और मल्लिकार्जुन मंसूर का अंतरंग संबंध रहा। उनके संगीत के विषय में यह लेख अद्वितीय है।
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संगीत के चितेरे (Musicologists)

म्यूजिकोलॉजिस्ट। इसका हिन्दी अनुवाद मिलना कठिन है। लोग संगीत-अध्येता या संगीत-समीक्षक प्रयोग करते हैं। पश्चिम में यह एक अलग विधा ही है।
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स्मृति: रमाकांत गुंडेचा

उन्हें यह भी समझ आ गया था कि अधिकतर श्रोताओं को संगीत की रत्ती भर समझ नहीं। कुछ अभिजात्य परिवार से यूँ ही सज-धज कर आगे की कुर्सियों पर बैठे हैं, कुछ शौक से आए हैं, कुछ यूँ ही पकड़ कर लाए गए हैं, और कुछ बस आ गए।
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Bihar Music Tradition Poster 1
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बिहार की संगीत परंपरा

बिहार में हिंदुस्तानी संगीत की सभी विधाएँ फली-फूली। ध्रुपद, खयाल, ठुमरी, वादन, नृत्य, संगीत शास्त्र सभी के गढ़ रहे। आज भी उनमें से कई मौजूद हैं।
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बैजनाथ मिश्र ‘बैजू’: जो बाँवरे नहीं थे

बैजू अपने बेटे को ढूँढने कश्मीर की ओर पदयात्रा पर निकले। वहीं रास्ते में होशियारपुर जिले के एक गाँव में वह ठहरे, जो उनके नाम पर ‘बजवाड़ा’ नाम से मशहूर हुआ
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ध्रुपद और कच्छप वीणा

मैं विज्ञान से जुड़ा व्यक्ति हूं और यह कल्पना करता रहता हूं कि विश्व का ऐसा कौन-सा वाद्य-यंत्र होगा जो मनुष्य के ‘वोकल कॉर्ड’ (स्वर-रज्जु) के सबसे करीब होगा. जिसके तार छेड़े जाएं तो गायन के समानांतर हो
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