गांधी ने लंदन पहुँचने के बाद विद्यार्थियों के लिए एक गाइड लिखने का निर्णय लिया। वह स्वयं भी विद्यार्थी थे, तो चाहते थे कि अन्य विद्यार्थियों का मार्गदर्शन करें। कैसे एडमिशन लें, कहाँ रुकें, कैसे पैसे बचाएँ, ये सवाल तो अब भी हर विद्यार्थी के मन में होते हैं।
चंदन पाण्डेय समकालीन विषयों पर बेहतरीन गद्य लिख रहे हैं। उनकी पुस्तक वैधानिक गल्प एक थ्रिलर की तरह बुना गया गंभीर गद्य है। इसमें वह घटनाएँ नजर आती हैं, जो आज के दौर का सच है।
कुछ स्थानों पर ऐसा प्रतीत होता है कि मोहम्मद अली जिन्ना और अंबेडकर की अपनी-अपनी दृष्टियों में समानताएँ और अपूर्णता एक जैसी हैं। लेखक अंबेडकर को एक संगठन व्यक्ति के रूप में असफल दिखाते हैं।
इंद्र-कथा में ट्रांस-जेंडर, समलैंगिकता, और यहाँ तक कि ऐसे संदर्भ मिलेंगे कि गर्भधारण अगर पुरुष करे तो क्या हो? स्त्री अपनी इच्छाओं के प्रति कितनी स्वतंत्र है? यह प्रश्न भी है कि अगर अ-ब्राह्मण शास्त्रज्ञ बन जाएँ, तो क्या हो
पुस्तक में एक स्थान पर हिंदू राष्ट्र के चार संभावित विकल्प बताए गए हैं। पहला कि हिंदू राष्ट्र बने, किंतु संवैधानिक अधिकार बराबर रहें। जैसे नॉर्वे आदि ईसाई राष्ट्र की तरह। दूसरा कि हिंदू राष्ट्र बने और हिंदुओं को कुछ अधिक अधिकार मिले, जैसा भाजपा चाहती है…
फ़र्ज़ करिए कि तीनों इब्राहिमी धर्म जिनका मूल एक है, वे एक हो जाएँ। यहूदी, ईसाई और मुसलमान एक हो जाएँ। यहूदी इस बात पर मान जाएँ कि यीशु मसीह वाकई एक मसीहा थे। ईसाई यह मान जाएँ कि पैगम्बर भी थे।
एक ऐसी जगह हो, जहाँ पीढ़ी-दर-पीढ़ी लोग बाज पालते हों। एक ऐसा क्षेत्र जहाँ विवाह की पारंपरिक विधि ही यही हो कि पुरुष पहले अपनी प्रेमिका का अपहरण कर ले, फिर उनके माँ-बाप से इज़ाजत माँगे