लद्दाख के लोग सदियों से सत्तू खाते रहे हैं, जिसके पीछे वहाँ की जलवायु और जीवनशैली का रोल है। पेरिस सिन्ड्रोम, भगा कर शादी, और मैगनेटिक हिल के अंधविश्वास की बात इस खंड में
1971 के युद्ध के सीजफायर के बाद पाकिस्तान अधिकृत क्षेत्र का एक बाल्टिस्तानी गाँव टुरटुक भारत का हिस्सा बन गया। वे सांस्कृतिक रूप से लद्दाख से ही जुड़े थे। इस खंड में वहाँ के याग्गो राजा से मुलाक़ात
पाकिस्तान और चीन, दोनों सीमाओं पर होने के कारण लद्दाख ने कई युद्ध देखें हैं। उनकी स्मृतियाँ पूरे लद्दाख में पसरी हुई हैं। यात्रा संस्मरण के इस खंड में उस पर चर्चा
लद्दाख में बौद्ध धर्म की महायान और वज्रयान परंपरा के आने ने बुद्ध की मूल शिक्षा का कायाकल्प कर दिया। मूर्ति-पूजा के निंदक की विशाल चमकदार मूर्तियाँ पूरी दुनिया में दिग्विजय करने लगी। इस खंड में हीनयान, महायान और वज्रयान के इस यात्रा की चर्चा
लद्दाख में देवी तारा का बहुत महत्व है। यह बौद्ध धर्म के तांत्रिक रूप का अंग है। इसकी खोज में एक स्याह पक्ष का पता लगा। स्मगलिंग। लद्दाख यात्रा पर खंड में उन्हीं पर चर्चा
लद्दाख में बौद्ध और इस्लाम दोनों का अनुपात लगभग बराबर है। सांस्कृतिक रूप से यह बौद्ध बहुल क्षेत्र रहा है। लद्दाख के बौद्ध धर्म पर एक आम यात्री को फौरी समझ ही मिल सकती है। इस खंड में उसी की चर्चा
लद्दाख दुनिया के सबसे चरम जलवायु वाले प्रदेशों में है। यहाँ के विषय में यह बात कि यहाँ घास भी नहीं उगती, कितनी सच है? लद्दाख यात्रा के साथ-साथ बतकही कई राज खोलती है
एशिया के सबसे स्वच्छ गाँव मेघालय में है। उस गाँव की सैर के साथ उत्तर-पूर्व की राजनीति को समझने की कोशिश हुई। ख़ास कर यह कि एक ईसाई बहुल या हिंदू अल्पसंख्यक राज्य में भाजपा किस तरह आगे बढ़ रही है।
मेघालय उत्तर-पूर्व की बादलों से घिरी घाटियों में बसा ईसाई बहुल राज्य है। उसकी यात्रा एक पर्यटक की भाँति भी की जा सकती है। सांस्कृतिक भी। यूँ ही बतकही करते भी। इस यात्रा के पहले खंड में मेघालय के कुछ भूले-बिसरे पत्थरों की बातें