Kaalo Thiu Sai
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कालो थियु सै- बाड़मेर का सम्मोहन

कहानियाँ किसी रोज़मर्रा की घटना से भी बुनी जा सकती है अगर कहने का शऊर हो। जब यह कहानी बाड़मेर जैसी जगहों से उपजती है तो एक अलग ही भँवर रचती है। किशोर चौधरी लिखित पुस्तक कालो थियु सै पर बात
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Four Single Mothers
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जब अर्जुन अपने पुत्र से हार गए

हमारी पीढ़ी पौराणिक कथाओं से क्या सीख सकती है? आज के समाज की स्वतंत्र स्त्रियाँ क्या महाभारत में ऐसी माँएँ तलाश सकती हैं। ऐसे समानांतर जहाँ स्त्री ने स्वयं ऐसी नियति चुनी हो? आशुतोष गर्ग की पुस्तक ‘4 सिंगल मदर्स’ पर चर्चा
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Nalasopara Chitra Mudgal
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एक किन्नर की चिट्ठी अपने माँ को

कुछ किताबें दिल-ओ-दिमाग में एक गहरी छाप छोड़ जाती है। चित्रा मुद्गल लिखित पोस्ट बॉक्स 203 नाला सोपारा एक लाइफ़-चेंजिंग किताब के खाँचे में बैठती है।
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Ghalib Gali Qasim Jaan
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काबा मिरे पीछे है कलीसा मिरे आगे

1857 के गदर के समय ग़ालिब दिल्ली में मौजूद थे। उनका जीवन आखिरी मुग़ल बादशाह से ब्रिटिश महारानी विक्टोरिया के सत्ता-परिवर्तन का चश्मदीद रहा। उनकी शायरियों में यह दौर कभी नेपथ्य में तो कभी मुखर होकर आता है। यह ज़िंदगी नामा इस तरह लिखी गयी है कि ग़ालिब की कहानी ग़ालिब की ज़ुबानी सुनी जा सके। यह किताब लिखी है वरिष्ठ पत्रकार विनोद भारद्वाज ने
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Rome Poster 4
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रोम 4- इटली में पिज़्ज़ा नहीं खाते

दुनिया के तमाम इतालवी रेस्तराँ में जो भोजन मिलता है, वह ज़रूरी नहीं कि इटली के लोग भी प्रतिदिन खाएँ। जैसे भारतीय रेस्तराँ के लोकप्रिय भोजन भी भारतीय दिनचर्या के भोजन नहीं होते।
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Bhooton Desh Iceland Poster
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भूतों का एक देश

आइसलैंड यूरोप और अमरीका महादेशों के मध्य बीच समुद्र में एक अजूबा द्वीप है। उस हिमाच्छादित द्वीप में लोक कम है, लेकिन लोककथाएँ और मान्यताएँ जन्मी है। जहाँ आदमी और भूत सामंजस्य से रहते हैं, उसकी तफ्तीश में है यह यात्रा
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Rome Part 3 poster
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रोम 3- पोप का घर

रोम का ईसाईकरण एक लंबी प्रक्रिया रही। यहीं ईसाई धर्म का मुख्य केंद्र बना और पूरी दुनिया में फैला। कैसे मनाता है वैटिकन बड़ा दिन, यह इस खंड में
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Rome Part 2 poster
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रोम 2- मंदिर से गिरजाघर तक

रोम पहले मूर्तिपूजक था। वहाँ के मंदिरों को तोड़ कर या उनका रूपांतरण कर गिरजाघर बनाए गए। इससे रोम की सूरत कैसे बदली, इस पर चर्चा इस खंड में
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Rome part 1 poster
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रोम 1 – मलबों का शहर

रोम की ख़ासियत कहें या उसका ऐब कि उस शहर से मलबे और भग्नावशेष उठाए नहीं गए। वे शहर के केंद्र में अपनी उम्र के झुर्रियों के साथ मौजूद हैं। चाहे नीरो के जीर्ण-शीर्ण भवन हों, या वैटिकन मूल्यों से पेगन मंदिर, वे अब भी झाँक रहे हैं। इस आधुनिक मुर्दे के टीले की कहानी इस संस्मरण में
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Ladakh Part 8 poster
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लद्दाख 8- तुमचूर

बौद्ध धर्म समय के साथ खर्चीला और आडंबरी होता गया। लेकिन इससे संस्कृति में लोसार महोत्सव, संगीत और तुमचूर जैसी चीजें आयी। कभी रेशम मार्ग से जुड़े लद्दाख में आज भी ऐसे संसाधन छुपे हैं, जिस पर नज़र नहीं पड़ी। संस्मरण के आखिरी खंड में इन पर बात।
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