वास्को डी गामा – खंड 2: सुखद आशाओं का द्वार
गुमनाम डायरियों पर विश्वास करना आसान होता है, क्योंकि उसमें लिखने वाले का स्वार्थ नहीं छिपा होता। सोचिए, अगर हम दुनिया के सबसे बड़े मिशन में शामिल होते, उसकी पूरी कहानी लिखते, तो क्या अपना नाम स्वर्णिम अक्षरों में न छपवाते?
दूसरे खंड में हम वास्को डी गामा की भारत निमित्त प्रथम जहाज़ी यात्रा की कहानी पढ़ेंगे जो एक गुमनाम सह-यात्री ने दर्ज की।