मेहरगढ़ से हड़प्पा, मुअनजोदड़ो, लोथल और धौलावीर जैसे नगरों का बसना एक सभ्यता का निर्माण था। यह सभ्यताएँ अपने समय में संगठित और विकसित था। उनका मुर्दों का टीला बनना एक रहस्य है
दक्षिण अफ़्रीका में भारतीयों के लिए तरह-तरह के अपमानजनक विशेषण प्रयोग किए जाते। जैसे कुली। जैसे रामास्वामी से उपजा विशेषण राम्मी-साम्मी। भारतीय इसके आदी हो चुके थे, मगर पच्चीस वर्ष के युवक गांधी ने इसका विरोध करना उचित समझा। पढ़ें वह चिट्ठी
भगवान हैं या नहीं, यह प्रश्न बचपन का एक शाश्वत कौतूहल है। मानव इतिहास में ऐसा निर्माण कब हुआ होगा, यह कयास लगते रहे हैं। पाषाण युग से कांस्य युग में प्रवेश और लिपि का आविष्कार ऐसी ही एक कड़ी है।
मानव ने जंगल छोड़ कर नदी किनारे बसना शुरू किया। कृषि और पशुपालन करने लगे। बेलन घाटी, मेसोपोटामिया, मिस्र, सिंधु घाटी सभ्यता बसाने लगे। इससे उन्होंने बहुत कुछ पाया। बहुत कुछ खोया।
क्या पूरी दुनिया के पूर्वज एक ही थे? क्या सभी मानव अफ़्रीका से आए? यह बात हमें कैसे पता लगेगी? मानव इतिहास पर आधारित इस शृंखला के पहले खंड में इन प्रश्नों के हल ढूँढते हैं।
विवेक शुक्ल दिल्ली के चलते-फिरते ज्ञानकोश हैं। इस पुस्तक में उन्होंने गांधी और दिल्ली के संबंध को टटोला है। ऐसा लगता है जैसे हर चीज जो देख रखी है, उसमें बहुत कुछ देखना बाकी है।
लाला अमरनाथ भारतीय क्रिकेट के आदिपुरुष की तरह नज़र आते हैं। भले उनसे पहले और बाद में एक से एक क़द्दावर खिलाड़ी हुए, मगर लाला की छवि कायम है। डॉन ब्रैडमेन को हिट विकेट आउट करने वाले पहले खिलाड़ी की झोली में ऐसी कई चीजें है जो पहली बार मिली
ट्रांसवाल ऐडवर्टाइज़र में खबर छपी-‘एक भारतीय बैचलर ऑफ़ आर्ट्स मि. पिल्लई को डर्बन में एक फुटपाथ से धक्का दे दिया गया’। दरअसल यह मिस्टर पिल्लई कोई और नहीं, मोहनदास करमचंद गांधी थे। इस घटना के साथ विरोध का एक सिलसिला शुरू हुआ। उन चिट्ठियों को यहाँ पढ़ा जा सकता है
गांधी के लिए लंदन से बैरिस्टर होना नौकरी के लिए काफ़ी नहीं था। उन दिनों बंबई में ऐसे बैरिस्टरों की कमी नहीं थी। जाति से बहिष्कृत और पैसों से तंग गांधी की कुछ चिट्ठियाँ यहाँ पढ़ी जा सकती है।