Open Letter Gandhi Poster
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खुली चिट्ठी में पूछा- क्या यही आपके संस्कार हैं?

25 वर्ष के बैरिस्टर मोहनदास करमचंद गांधी द्वारा ब्रिटिश सरकार को लिखी पहली खुली चिट्ठी विवादित रही। उन्होंने अफ़्रीकी मूल के लोगों को जंगली कहा। लेकिन, यह सत्याग्रह के आरंभिक दस्तावेजों में है।
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London Guide Gandhi Poster
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विद्यार्थियों के लिए गांधी की गाइड में क्या था?

गांधी ने लंदन पहुँचने के बाद विद्यार्थियों के लिए एक गाइड लिखने का निर्णय लिया। वह स्वयं भी विद्यार्थी थे, तो चाहते थे कि अन्य विद्यार्थियों का मार्गदर्शन करें। कैसे एडमिशन लें, कहाँ रुकें, कैसे पैसे बचाएँ, ये सवाल तो अब भी हर विद्यार्थी के मन में होते हैं।
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Bhopal Gas Tragedy poster
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भोपाल की वह काली रात – 1984 की गैस ट्रेजेडी

1984 के आखिरी महीनों में अमरीकी यूनियन कार्बाइड कंपनी के भोपाल यूनिट में ऐसी गैस लीक हुई जिसने प्रलय ला दिया। यह एक औचक दुर्घटना नहीं थी, बल्कि इसकी आहट पहले से थी।
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Agnipunj Chandrashekhar Azad Poster
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भगत को फाँसी होगी, उससे पहले कुछ करना होगा – आज़ाद

चंद्रशेखर आज़ाद की कहानी एक परिपक्व क्रांतिकारी की कहानी है, जिसमें जोश और विचारों का संतुलन दिखता है। आज़ाद पर यह पुस्तक अग्निपुंज उन लोगों के द्वारा लिखी गयी जिन्होंने उन्हें क़रीब से देखा, उनके साथ रहे।
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Ambedkar Christophe Jaffrelot
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अंबेडकर का जीवन- कितना सफल, कितना असफल?

कुछ स्थानों पर ऐसा प्रतीत होता है कि मोहम्मद अली जिन्ना और अंबेडकर की अपनी-अपनी दृष्टियों में समानताएँ और अपूर्णता एक जैसी हैं। लेखक अंबेडकर को एक संगठन व्यक्ति के रूप में असफल दिखाते हैं।
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Vasco part 6
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वास्को डी गामा खंड 6 – आखिरी खूँटा

कालीकट से ठुकराए जाने के बाद वास्को डी गामा के पास लौट जाने के अतिरिक्त कोई विकल्प नहीं था। लेकिन लौटते हुए किस्मत ने उसे ऐसी जगह ला दिया, जो पुर्तगालियों का गढ़ ही बन गया। शृंखला के आखिरी खंड में गोवा के उस जमीन का विवरण है, जहाँ वे भूलते-भटकते हुए पहुँच गए।
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Vasco
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वास्को डी गामा खंड 5 – बड़े बेआबरू होकर निकले

पुर्तगालियों के पास देने के लिए कुछ नहीं था। वे अरबी व्यापारियों से संपत्ति के मामले में कमजोर दिखे। लेकिन, कहीं न कहीं यह आकलन अधूरा था और भविष्य में इसकी क़ीमत चुकानी पड़ी। इस खंड में उस घटनाक्रम का विवरण है, जब वास्को डी गामा को कालीकट छोड़ कर भागना पड़ा।
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Vasco Da Gama arrival poster
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वास्को डी गामा – खंड 4- सोने की चिड़िया

वास्को डी गामा का भारत के पश्चिमी समुद्री तट पर आना यूरोप और भारत के इतिहास का महत्वपूर्ण बिंदु है। भारत कई मामलों में उस समय यूरोप से अधिक समृद्ध था। वहीं यूरोपीय अपने कदम बहुत संभाल कर रख रहे थे। इस खंड में उसी आरंभिक संवाद का विवरण है।
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Poster of vasco da gama part 3
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वास्को डी गामा – खंड 3 – अरबी बनाम पुर्तगाली

अफ़्रीका के तटों पर इस्लाम राज था। वास्को डी गामा को लिए यह चुनौती थी कि भारत पहुँचने में मदद कैसे ली जाए। कहीं लड़ाई, कहीं कूटनीति, और कहीं झूठे वादे उसका पथ प्रशस्त कर रहे थे। भारत का रास्ता दिखाने वाला सबसे उचित व्यक्ति आख़िर कौन हो सकता था? तीसरे खंड में पुर्तगाली और अरबी लोगों की मुलाक़ात पर बात
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वास्को डी गामा – खंड 2: सुखद आशाओं का द्वार

गुमनाम डायरियों पर विश्वास करना आसान होता है, क्योंकि उसमें लिखने वाले का स्वार्थ नहीं छिपा होता। सोचिए, अगर हम दुनिया के सबसे बड़े मिशन में शामिल होते, उसकी पूरी कहानी लिखते, तो क्या अपना नाम स्वर्णिम अक्षरों में न छपवाते? दूसरे खंड में हम वास्को डी गामा की भारत निमित्त प्रथम जहाज़ी यात्रा की कहानी पढ़ेंगे जो एक गुमनाम सह-यात्री ने दर्ज की।
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