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वास्को डी गामा – खंड 1: आख़िरी क्रूसेड

यूरोप के लिए भारत का समुद्री रास्ता ढूँढना एक ऐसी पहेली थी जिसे सुलझाते-सुलझाते उन्होंने बहुत कुछ पाया। ऐसे सूत्र जो वे ढूँढने निकले भी नहीं थे। हालाँकि यह भारत की खोज नहीं थी। भारत से तो वे पहले ही परिचित थे। ये तो उस मार्ग की खोज थी जिससे उनका भविष्य बनने वाला था। यह शृंखला उसी सुपरिचित इतिहास से गुजरती है। इसके पहले खंड में बात होती है आख़िरी क्रूसेड की।
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अकबर

शाज़ी ज़माँ साहब अगर अकबर पर उपन्यास या नाटक लिखते, तो यह मुगल-ए-आजम फ़िल्म जैसी कुछ जानदार मिसाल बनती। लेकिन, वह पूरे उपन्यास में तथ्य रखने में इस कदर उलझ गए कि यह न सौ फ़ीसदी उपन्यास रहा, न इतिहास
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