Lord Macalauy
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आख़िर लार्ड मकाले ने कहा क्या था?

लार्ड मकाले का एक भाषण ख़ासा विवादित रहा, और सोशल मीडिया युग में उसकी छवियाँ भी घूमती रहती है। पढ़ कर देखते हैं कि वास्तव में मकाले ने minutes on education 1835 में कहा क्या था।
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Abhyutthanam Ajeet Pratap Singh
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नंद, अलेक्ज़ेंडर और चंद्रगुप्त मौर्य

अलेक्ज़ेंडर का भारत की सीमा पर आना, और मौर्य वंश का मगध का उदय लगभग एक कड़ी की तरह हुआ। क्या ऐसा संयोग बना कि तक्षशिला में चंद्रगुप्त मौर्य ने अलेक्ज़ेंडर की छावनी देखी? क्या उस घटनाक्रम से मगध की सत्ता और भारत के स्वरूप पर दूरगामी प्रभाव पड़ा? आज की दुनिया पर? आज के भारत पर? अजीत प्रताप सिंह लिखित पुस्तक ‘अभ्युत्थानम्’ पर एक चर्चा
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Meena Kumari Satya Vyas
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हज़ारों साल नरगिस अपनी बेनूरी पर रोती है

कुछ किरदार कभी पुराने नहीं होते। वे आज भी यहीं कहीं मौजूद होते हैं। मीना कुमारी यूँ तो सत्तर के दशक के आग़ाज़ से पहले ही दुनिया छोड़ गयी, मगर उन पर पढ़ना एक ताज़गी लिए अनुभव रहा। सत्य व्यास लिखित ‘मीना मेरे आगे’ पर बात
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Kachh Katha Abhishek Srivastav
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कच्छ नहीं देखा तो कुछ नहीं देखा

यात्रा संस्मरणों का ढर्रा कभी एक नहीं रहा, लेकिन इस विधा में हिंदी साहित्य नित नए प्रतिमान रच रहा है। यात्राएँ कई खेप में, कई चीजों को तलाश रही हैं। इंटरनेट युग में भी ऐसे अनसुलझे, अनजाने रहस्यों से परिचय करा रही है, जो बिना घाट-घाट पानी पीए नहीं मालूम पड़ेगी। अभिषेक श्रीवास्तव लिखित कच्छ कथा उसी कड़ी में
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Rajnatni Geeta Shree
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कौन थी राजनटनी?

गीताश्री ने बैक-टू-बैक इतिहास के पन्नों से राजनर्तकियों पर रचना की है। इस पुस्तक राजनटनी पर कुछ आपत्ति थी कि यह मूल मैथिली कथा की नकल है। किंतु साहित्य में पात्र एक हो सकते हैं, कथाएँ भिन्न, और इतिहास कहीं उनके इर्द-गिर्द
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Panchamrit Ashwini Dubey Rajkamal
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पंचामृत के पाँच संगीतकार कौन हैं?

इंदौर और देवास ने हिंदुस्तानी संगीत की दुनिया को समृद्ध किया है। अश्विनी कुमार दूबे वहाँ से पाँच महत्वपूर्ण नाम मंथन कर लाए हैं। रज़ा फ़ाउंडेशन और राजकमल प्रकाशन से छपी यह पुस्तक ज़रूर पढ़ी जानी चाहिए
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Emergency Jayaprakash Fernandes
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इमरजेंसी की हथकड़ी

इमरजेंसी के दौरान कुछ ऐसी स्थिति बनी कि सत्ता के ख़िलाफ़ समाजवादी, दक्षिणपंथी और वामपंथी नेता एक साथ आ गए। यह एक अजीबोग़रीब समीकरण था जिसे अपनी-अपनी सहूलियत और आरोप-प्रत्यारोप के लिए लोगों ने बाद में उपयोग किया। मगर मूल मुद्दा लोकतंत्र का वह रूप था जिसकी चिंता हर दौर में होती रही है
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Renaissance Book Extract
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अंग्रेज़ न आते तो क्या होता?

अंग्रेज़ों के आने के बाद यह संभावना दिखायी दे रही थी कि अधिक से अधिक ईसाई धर्मांतरण होंगे, जैसा कई ब्रिटिश या यूरोपीय उपनिवेशों में हुआ। किंतु इसके विपरीत भारत में आना और यहाँ की सांस्कृतिक विरासत से परिचय उनके लिए भी एक पहेली बनता चला गया
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1984 anti sikh riots poster
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त्रिलोकपुरी 1984- सिख विरोधी दंगों की कहानी

1984 के सिख दंगे एक संवेदनशील और मार्मिक घटना है। इस पर दर्जनों लेख और किताबें लिखी गयी। पत्रकार संजय सूरी उस वक्त इसे कवर कर रहे थे, और उन्होंने आँखो-देखी रपट एक पुस्तक की शक्ल में लिखी। पढ़ें उस पुस्तक के माध्यम से दंगों की कहानी
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Africa Diary Gandhi
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अफ़्रीका डायरी

गांधी प्रतिदिन अपनी डायरी लिखते थे। अक्सर वह छोटी, दो-चार शब्दों की होती। लेकिन लगभग पाँच दशकों तक लगातार लिखी गयी, और वह सार्वजनिक है। गांधी के आलोचक भी उसी डायरी का संदर्भ देते हैं, और प्रशंसक भी। यह उस मामूली डायरी का हासिल है। देखें उस डायरी के कुछ पन्ने
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