Renaissance Book Extract
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अंग्रेज़ न आते तो क्या होता?

अंग्रेज़ों के आने के बाद यह संभावना दिखायी दे रही थी कि अधिक से अधिक ईसाई धर्मांतरण होंगे, जैसा कई ब्रिटिश या यूरोपीय उपनिवेशों में हुआ। किंतु इसके विपरीत भारत में आना और यहाँ की सांस्कृतिक विरासत से परिचय उनके लिए भी एक पहेली बनता चला गया
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Balraj Sahni Irfan
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जब फ़िल्म स्टार ने चलाया हाथ रिक्शा

एक अभिनेता जिनकी फ़िल्मी दुनिया लगभग उस समय शुरू होती है, जब उनके बाल पक चुके थे। एक कम्युनिस्ट जो जेल से शूटिंग पर जाते। एक बीबीसी पत्रकार जो द्वितीय विश्वयुद्ध के समय लंदन में थे। बलराज साहनी की आत्मकथा इरफ़ान की आवाज में सुनते हुए
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Bhooton Desh Iceland Poster
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भूतों का एक देश

आइसलैंड यूरोप और अमरीका महादेशों के मध्य बीच समुद्र में एक अजूबा द्वीप है। उस हिमाच्छादित द्वीप में लोक कम है, लेकिन लोककथाएँ और मान्यताएँ जन्मी है। जहाँ आदमी और भूत सामंजस्य से रहते हैं, उसकी तफ्तीश में है यह यात्रा
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Gurudutt Book Poster
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ट्रेजडी का नाम गुरुदत्त

गुरुदत्त के जीवन पर बहुत कुछ लिखा गया है। यासर उस्मान ने उन पर लिखी सभी किताबों और संदर्भों को मिला कर एक मुकम्मल किताब लिखी है। किताब तो मुकम्मल है, लेकिन गुरुदत्त का जीवन ही अपूर्णता से भरा है। एक अधूरी कहानी
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Bisaat Jugnu Vandana poster
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बिसात पर जुगनू- जब हिंद-चीन में प्रेम था

वंदना राग का यह उपन्यास उन किताबों में है, जिसे पढ़ने के लिए अर्हता चाहिए। अफ़ीम युद्ध के बाद जो भारत-चीन आवाजाही हुई, उससे संबंध बने। गहरे और मानवीय। इतिहास से वर्तमान तक खंगालती यह पुस्तक नूतन प्रयोग है
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Gandhi delhi vivek shukla
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क्या गांधी और अंबेडकर दिल्ली में कभी मिले?

विवेक शुक्ल दिल्ली के चलते-फिरते ज्ञानकोश हैं। इस पुस्तक में उन्होंने गांधी और दिल्ली के संबंध को टटोला है। ऐसा लगता है जैसे हर चीज जो देख रखी है, उसमें बहुत कुछ देखना बाकी है।
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Agnipunj Chandrashekhar Azad Poster
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भगत को फाँसी होगी, उससे पहले कुछ करना होगा – आज़ाद

चंद्रशेखर आज़ाद की कहानी एक परिपक्व क्रांतिकारी की कहानी है, जिसमें जोश और विचारों का संतुलन दिखता है। आज़ाद पर यह पुस्तक अग्निपुंज उन लोगों के द्वारा लिखी गयी जिन्होंने उन्हें क़रीब से देखा, उनके साथ रहे।
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Vaidhanik Galp Poster
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गंभीर सस्पेंस थ्रिलर है उपन्यास वैधानिक गल्प

चंदन पाण्डेय समकालीन विषयों पर बेहतरीन गद्य लिख रहे हैं। उनकी पुस्तक वैधानिक गल्प एक थ्रिलर की तरह बुना गया गंभीर गद्य है। इसमें वह घटनाएँ नजर आती हैं, जो आज के दौर का सच है।
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Ambedkar Christophe Jaffrelot
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अंबेडकर का जीवन- कितना सफल, कितना असफल?

कुछ स्थानों पर ऐसा प्रतीत होता है कि मोहम्मद अली जिन्ना और अंबेडकर की अपनी-अपनी दृष्टियों में समानताएँ और अपूर्णता एक जैसी हैं। लेखक अंबेडकर को एक संगठन व्यक्ति के रूप में असफल दिखाते हैं।
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