Vaidhanik Galp Poster
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गंभीर सस्पेंस थ्रिलर है उपन्यास वैधानिक गल्प

चंदन पाण्डेय समकालीन विषयों पर बेहतरीन गद्य लिख रहे हैं। उनकी पुस्तक वैधानिक गल्प एक थ्रिलर की तरह बुना गया गंभीर गद्य है। इसमें वह घटनाएँ नजर आती हैं, जो आज के दौर का सच है।
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Ambedkar Christophe Jaffrelot
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अंबेडकर का जीवन- कितना सफल, कितना असफल?

कुछ स्थानों पर ऐसा प्रतीत होता है कि मोहम्मद अली जिन्ना और अंबेडकर की अपनी-अपनी दृष्टियों में समानताएँ और अपूर्णता एक जैसी हैं। लेखक अंबेडकर को एक संगठन व्यक्ति के रूप में असफल दिखाते हैं।
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Sharmishtha poster
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देव्यानी, शर्मिष्ठा, ययाति की कथा आज भी मौज़ू

शर्मिष्ठा की कथा कई बार कई दृष्टियों से दोहरायी गयी है। इस कथा कि ख़ासियत यह है कि इसे किसी कोण से आँका जा सकता है। अणुशक्ति का कोण एक पौराणिक कथा को आधुनिक दृष्टि से देखना है।
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Indra Ashutosh Garg
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बात पुस्तक ‘इंद्र’ की- क्या आप इन पौराणिक प्रश्नों के उत्तर जानते हैं?

इंद्र-कथा में ट्रांस-जेंडर, समलैंगिकता, और यहाँ तक कि ऐसे संदर्भ मिलेंगे कि गर्भधारण अगर पुरुष करे तो क्या हो? स्त्री अपनी इच्छाओं के प्रति कितनी स्वतंत्र है? यह प्रश्न भी है कि अगर अ-ब्राह्मण शास्त्रज्ञ बन जाएँ, तो क्या हो
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Poster of book Ambpali
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अम्बपाली- नए नज़रिए से एक बौद्ध थेरी कथा

यह स्त्री-केंद्रित रचना है, जिसमें वैशाली की गणिकाएँ, विवाहित स्त्रियाँ, बौद्ध भिक्षुणियाँ प्रमुखता से हैं। यहाँ थेरियों की गाथा है।
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Retsamadhi poster
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रेतसमाधि

इस पुस्तक ने मेरे मस्तिष्क को पिछले एक हफ्ते से बंदी बना लिया था, क्योंकि एक पढ़ाकू का अभिमान पाले हुए भी, मैं इस चंपू-गद्य या पद्यात्मक गद्य से पराजित था। मुझे समझ नहीं आ रहा था कि कथा कहाँ जा रही है।
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Rambhakt Rangbaaz poster
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रामभक्त रंगबाज़- कुछ क़िस्से कभी पुराने नहीं होते

राकेश कायस्थ ने यह उपन्यास एक चर्चित और संवेदनशील प्लॉट पर लिखा है। जब मंडल-कमंडल का समय था, रथयात्रा, बाबरी मस्जिद विध्वंस से बंबई बम धमाकों की पृष्ठभूमि बन रही थी, उस समय आप कहाँ थे? अगर आप किसी मुहल्ले में थे, तो आप स्वयं को वहीं बैठा पाएँगे
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अकबर

शाज़ी ज़माँ साहब अगर अकबर पर उपन्यास या नाटक लिखते, तो यह मुगल-ए-आजम फ़िल्म जैसी कुछ जानदार मिसाल बनती। लेकिन, वह पूरे उपन्यास में तथ्य रखने में इस कदर उलझ गए कि यह न सौ फ़ीसदी उपन्यास रहा, न इतिहास
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Idea Parde Ramkumar Singh
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आइडिया से परदे तक

ऐसी किताबें पसंद आती है, जिसमें खामखा आडंबर नहीं होता और किसी प्राथमिक शिक्षक की तरह बेसिक से शुरू कर खेल-खेल में समझाया जाता है। लेखक समझाते हैं कि उपन्यास या अन्य गद्य के पाठक किताबों में रुचि वाले पढ़ाकू लोग हैं, जबकि फ़िल्म तो कोई भी देख लेता है।
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Jhansi Rani Mahashveta Devi
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झाँसी की रानी

वह नवयुवती, जिन्होंने कभी कोई किताब नहीं लिखी थी, बंगाल से कम निकली थी, वह बुंदेलखंड से मालवा की यात्रा पर निकल पड़ी। लक्ष्मीबाई को झाँसी में जाकर ढूँढा, लोगों से कहानियाँ सुनी, दस्तावेज़ों से मिलान किए, सब परख कर फिर से अपनी किताब शुरू की
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