मुश्किल है एक ईमानदार आत्मकथा। क़तई मुश्किल अगर यह एक ‘काला’ अध्याय हो, जिसे लेखक खुद भुला देना चाहता हो। लेकिन जब वह लिख ली जाती है, और छप भी जाती है, तो उसे दुनिया किस तरह देखती है? अगर नॉर्वेजियन लेखक क्नॉसगार्ड की बात करें, तो उनके जान-पहचान के लगभग सभी लोगों ने उनसे बैर कर लिया। जिन्हें भी उन्होंने अपने उपन्यास में पात्र बनाया। ऐसा काशीनाथ सिंह के साथ भी हुआ। जब उन्होंने ‘काशी का अस्सी’ लिखा, लोग उनकी टाँग तोड़ने पर उतारू थे।
एक लेखक हैं, जिन्हें अपनी सूक्ष्म और हिम्मती आत्मकथाओं ने नोबेल पुरस्कार तक पहुँचाया। एनी एर्नो की किताब ‘अ गर्ल्स स्टोरी’ में उन्होंने अपने पहले यौन संबंध को साझा किया है, जो लगभग बलात्कार ही था। एक ऐसा अनुभव जिसे वह हमेशा के लिए भुला चुकी थी। जिसके विषय में उन्होंने बहुत बाद में लिखा। अपनी अन्य आत्मकथाओं के बाद। मगर इसे लिखते हुए वह जैसे अपने सबसे सशक्त रूप में है। उन्होंने इस कथा के उत्तरार्ध में अपना नाम ‘काली’ और ‘काला नाग’ रखा है। देवी काली के नाम पर।
कहानी शुरू होती है जब वृद्ध एनी की नज़र अपनी एक पुरानी तस्वीर पर जाती है। यह 1958 के एक स्कूली कैंप की तस्वीर है जब वह 16-17 वर्ष की रही होगी। एक मासूम लड़की की, जो ‘औरत’ नहीं बनी थी। एनी के शब्दों में कहें तो- “औरत जन्म नहीं लेती, वह किसी पुरुष द्वारा बनायी जाती है”। एनी उस कैंप में पहली बार औरत बनी। मगर यह स्मृति कहीं दिमाग के सिलवटों में खो गयी थी। अब जब खुल रही है तो एक-एक क्षण किसी प्रिज्म की तरह है।
इस किताब के कई पन्ने उनकी अन्य किताबों की तरह ‘अश्लील’ भी कहे जा सकते हैं। मगर जब उनमें प्रूस्त और तमाम अन्य लेखकों और किताबों का ज़िक्र आता है, तो वह दार्शनिक बनता जाता है। उसी कैंप में जहाँ उसके साथ पहली बार कुछ ज़बरदस्ती और कुछ कौतूहल से यौन संबंध बना, वह दुबारा काली बन कर लौटती है। मगर यह उसके जीवन का एक भटकाव दिखता है। वह अपने इस रूप को भुला कर एक अलग दुनिया में प्रवेश करती है।
यह एक पतली सी किताब है, मगर उनकी अन्य किताबों की तरह मास्टरपीस में गिनी जाएगी।
Author Praveen Jha narrates his experience about book A Girl’s story by Nobel Prize winning author Annie Ernaux.
इस नोबेल पुरस्कृत लेखक ने एक सिख काला सिंह की कहानी लिखी। पढ़ने के लिए क्लिक करें