जब AI रोबोट कथाकार को नोबेल मिला

Murakami Ishugiro
Murakami Ishugiro
विज्ञान गल्प लिखने वाले कथाकार को नोबेल पुरस्कार मिलना कुछ अलग घटना थी। लेकिन इस दशक में अगर कोई कथाकार कृत्रिम प्रज्ञा पर उपन्यास लिखता है, तो उसकी दृष्टि भविष्य की है। लीक से हटकर है। आज जापानी मूल के दो लेखकों की किताबों पर बात

1

इस वर्ष पढ़ी किताबों में जापानी मूल लेखकों की दो किताबों की बात करता हूँ। पहली काजुओ इशीगुरो की किताब थी, जिन्हें बूकर और नोबेल पुरस्कार मिल चुका है। दूसरी हारुकी मुराकामी की, जिन्हें बस मिलते-मिलते रह जाया करता है।

मुराकामी अपनी किताब ‘फ़र्स्ट पर्सन सिंगुलर’ में अपने जीवन से आठ अविश्वसनीय गल्प रचते हैं। ऐसी कहानियाँ जो घट तो जाती हैं, मगर सुनायी नहीं जा सकती। जैसे एक कहानी में उनकी एक बंदर से मुलाक़ात होती है, जो एक होटल में काम करता है, मनुष्य की भाषा में बात करता है। मगर उसका वेतन कम है, क्योंकि वह बंदर है। उसे सार्वजनिक रूप से ग्राहकों के समक्ष नहीं लाया जा सकता। दूसरी तरफ़, चूँकि वह मनुष्य के तौर-तरीक़े और शौक़ सीख गया है, संगीत की बारीकियाँ समझता है, उसके साथ कोई दूसरा बंदर रहना पसंद नहीं करता। अब वह बंदर मनुष्य और वानर, दोनों के लिए कुछ-कुछ अवांछित है। उसे अगर किसी स्त्री से प्रेम हो जाए तो क्या करे? अगर वह मानव लड़की हो तो भला वानर को भाव क्यों देगी? ऐसे में वह अपने अंदर एक अजीब कौशल विकसित करता है। 

उस बंदर को जो लड़की पसंद आती है, वह उसका नाम चुरा लेता है। किसी ड्राइविंग लाइसेंस या आइडी कार्ड से वह किसी का भी नाम चुरा सकता है। इसके साथ ही वह लड़की अपना नाम भूलने लगती है। उससे जब कोई नाम पूछता है, क्षण भर के लिए जैसे स्मृति खो जाती है। उसे सब कुछ याद होता है, मगर नाम याद नहीं होता।

ज़ाहिर है मुराकामी की इस कथा पर किसी को भरोसा नहीं होता कि वाकई ऐसा कोई बंदर दुनिया में है। यहाँ तक कि मुराकामी स्वयं इस घटना को एक स्वप्न की तरह भुला चुके हैं, मगर वर्षों बाद कुछ ऐसा घटता है जिससे उन्हें लगता है कि शायद वह वानर कोई भ्रम नहीं था।

मुराकामी की कथाओं में जानवरों से बात करना कोई नयी थीम नहीं। वह ऐसा अपने उपन्यास ‘काफ़्का ऑन द शोर’ में भी कर चुके हैं। यह एक बिंब है, जो मानवों की दुनिया को अलग कोण से देखता है।

जहाँ तक नोबेल पुरस्कृत लेखक इशीगुरो की बात है, वह इसे एक अलग विमा (डाइमेंशन) में ले जाते हैं। उससे कुछ ऐसा रच जाते हैं कि विज्ञान गल्प को साहित्य की दुनिया गंभीर लेखन के दायरे में देखने लगती है। अन्यथा मुझे लगता था कि भला रोबोट कथा को कोई क्यों नोबेल देगा? 

2

‘क्लारा एंड द सन’ एक आधुनिक रोबोट की कहानी है, जिसे वह AF (आर्टिफिसियल फ्रेंड) कहते हैं। यह उस दुनिया की कहानी है, जहाँ लोग एक चलता-फिरता रोबोट मित्र खरीदा करेंगे। वह एक स्मार्ट खिलौने की तरह होगा, जो दोस्त का काम करेगा। दिखने, बोलने और समझने में मनुष्य जैसा। जानकारियों में मनुष्य से आगे। अच्छी चाल-ढाल का, और हर समय सीखने में तत्पर।

क्लारा नाम की यह रोबोट ही इस कथा की कथावाचक है। वह अपने आस-पास के रोबोटों और मनुष्य को ग़ौर से देख रही है। उसका यह सूक्ष्म गुण है कि उसकी दृष्टि और विश्लेषण बेहतर है। भले ही बाज़ार में उससे बेहतर तकनीक और कौशल के रोबोट आते जा रहे हैं, मगर क्लारा (और उसके मॉडल रोबोटों) में कुछ ऐसे गुण हैं जो उसे अलग बनाते हैं।

इस कथा में उसे सौर-ऊर्जा पर निर्भर दिखाया गया है, जिससे वह चार्ज होती है। उसकी शक्ति सूर्य पर निर्भर है, और इस कारण सूर्य से उसका लगभग आध्यात्मिक संबंध है। वह उसी में ईश्वर देखती है, और उसे लगता है कि मनुष्य की ऊर्जा भी सूर्य में समाहित है।

इस रोबोट की खरीदार जोसी नामक एक किशोरी है, जिसके बहन की मृत्यु हो गयी थी। अब उस अकेलेपन में क्लारा उससे बतियाती है, उसकी सेविका है। जोसी की माँ चाहती है कि क्लारा उसकी बेटी के सभी गुण सीख ले। वह उसकी बेटी जैसे ही चले, बोले, और व्यवहार करे। क्लारा धीरे-धीरे यह आसानी से सीख भी लेती है, मगर प्रश्न यह है कि उसकी माँ ऐसा क्यों चाहती है? जब उसकी एक मानव बेटी मौजूद है, तो वह उसकी हू-ब-हू रोबोट कॉपी क्यों चाहती है?

उपन्यास के अंत तक आप भविष्य की कई शंकाएँ और मानव के अंतर्निहित द्वंद्वों को देखने लगते हैं। रोबोट हमारी नौकरियाँ ले लेंगे, जेनेटिक बदलाव कर प्रतिभाएँ बेहतर की जाएँगी और साधारण मनुष्य पीछे रह जाएँगे। ऐसी शंकाओं से इतर भी कई और चीजें हैं, जो शायद हमें न दिखें, मगर सूर्य की उपासक उस रोबोट को दिख रही है। 

Author Praveen Jha narrates his experience about story collection First Person Singular by Haruki Murakami and the novel Klara and the sun by Kazuo Ishiguro

मुराकामी की किताबों में क्या है? पढ़ने के लिए क्लिक करें 

Klara and the sun ख़रीदने के लिए क्लिक करें 

1 comment
  1. नमस्ते सर, आपका लेखन इतना बेहतरीन है कि मैं आपके लेखन का मुरीद हो गया, आपका मुरीद हो गया।
    यूं तो आपकी अनेक रचनाएं पड़ी है, लेकिन खुशहाली का पंचनामा कुछ खास ही दर्जा रखती है।
    अमेजॉन किंडल पर अब यह पुस्तक उपलब्ध नहीं है कृपया आपसे हाथ जोड़ निवेदन है कि किसी अन्य माध्यम से इस पुस्तक को उपलब्ध करवा दीजिए।
    दृष्टि बाधित व्यक्ति होने के कारण में प्रिंटेड फॉर्मेट में पुस्तक नहीं पड़ सकता। इसलिए आपसे हाथ जोड़ अनुरोध है इस शानदार पुस्तक का ही बुक संस्करण उपलब्ध करवाए ताकि मैं इसे पढ़ सकूं और अन्य लोगों तक भी यह पहुंचाई जा सके।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You May Also Like
Rajesh Khanna
Read More

मेरे फ़ैन्स कोई नहीं छीन सकता- राजेश खन्ना

हिंदी सिनेमा के पहले सुपरस्टार का जीवन हमें इस बात का अहसास दिलाता है कि बाबू मोशाय! ज़िंदगी लंबी नहीं बड़ी होनी चाहिए। और यह भी कि ज़िंदगी एक ऐसी पहेली है जो कभी हँसाती है तो उससे अधिक रुलाती भी है
Read More
Hitler cover
Read More

हिटलर का रूम-मेट

एडॉल्फ हिटलर के तानाशाह हिटलर बनने में एक महत्वपूर्ण कड़ी है वियना में बिताए सत्रह से चौबीस वर्ष की उम्र का नवयौवन। उन दिनों उसके रूम-मेट द्वारा लिखे संस्मरण के आधार पर एक यात्रा उन बिंदुओं से, जो शायद यह समझने में मदद करे कि साधारण प्रवृत्तियाँ कैसे बदल कर विनाशकारी हो जाती है।
Read More
Kachh Katha Abhishek Srivastav
Read More

कच्छ नहीं देखा तो कुछ नहीं देखा

यात्रा संस्मरणों का ढर्रा कभी एक नहीं रहा, लेकिन इस विधा में हिंदी साहित्य नित नए प्रतिमान रच रहा है। यात्राएँ कई खेप में, कई चीजों को तलाश रही हैं। इंटरनेट युग में भी ऐसे अनसुलझे, अनजाने रहस्यों से परिचय करा रही है, जो बिना घाट-घाट पानी पीए नहीं मालूम पड़ेगी। अभिषेक श्रीवास्तव लिखित कच्छ कथा उसी कड़ी में
Read More