मेरी किताबें

1. उल्टी गंगा, मैन्ड्रेक प्रकाशन, दिसंबर 2021

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प्रवीण कुमार झा – उल्टी गंगा

यह दरअसल मेरी पहली पुस्तक थी, जो चमनलाल की डायरी नाम से 2016 में प्रकाशित हुई थी। इसमें बीस छोटी-छोटी कहानियाँ थी, जिनमें अब छह जुड़ कर और कुछ बेहतर संपादन के साथ आ रही है। पहली किताब होने के कारण यह जितनी अपरिपक्व है, उतनी ही खुल कर लिखी गयी है। इसकी भाषा चुटीली है, और कहानियों की यह मेरी इकलौती किताब है। इसकी कहानियाँ समाज के कई मुद्दों जैसै आरक्षण, जातिवाद, नक्सलवाद, निजीकरण, कॉरपोरेट दुनिया, नारीवाद, समलैंगिकता, नशाखोरी आदि पर बुनी है जो व्यंग्य के रास्ते गंभीर होती जाती है।

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2. कुली लाइंस, वाणी प्रकाशन, 2019

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प्रवीण कुमार झा – कूली लाइंस

यह सबसे अधिक समय लगा कर और शोध से लिखी किताब है। यह ब्रिटिश भारत से गिरमिटिया बना कर ले जाए गए मज़दूरों की छान-बीन है, जिनके वंशज अब भिन्न-भिन्न द्वीपों पर रह रहे हैं। यह एक गंभीर और दर्द भरी इतिहास पुस्तक है, जिसका कहन सपाट है। इसमें फ़िजी, मॉरीशस, सेशेलस, गयाना, ट्रिनिडाड, सूरीनाम, कनाडा, मलय आदि अध्याय हैं। हर द्वीप की कहानी एक सी होकर भी भारतीयों की अलग गाथाएँ हैं। यह सबसे चर्चित और बिक्री में सबसे आगे रही। इसका चतुर्थ संस्करण और अंग्रेज़ी अनुवाद प्रकाशन-प्रक्रिया में है।

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3. वाह उस्ताद, राजपाल प्रकाशन, 2020

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प्रवीण कुमार झा – वाह उस्ताद

यह पुस्तक हिंदुस्तानी संगीत के रोचक क़िस्सों से गुजरती है, जिसे आम पाठकों को ध्यान में रख कर लिखा गया है। इसमें हमारे संगीत की थाती और महफ़िलों से उपजती कहानियों का मज़ेदार वर्णन है। इस पतली किताब को पढ़ कर लोगों ने खूब वाह-वाह कहा, मगर कई लोग विषय में कम रुचि के कारण दूर भी रहे। अगर किसी को मैं पहली किताब पढ़ने का न्यौता दूँ तो इसी का दूँगा। यह खुश करने वाली किताब है, जिसे कलिंग लिट्रेचर फ़ेस्टिवल द्वारा 2020-21 के Book Of The Year से सम्मानित किया गया और तीसरा संस्करण आ चुका है।

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4. ख़ुशहाली का पंचनामा, मैंड्रेक प्रकाशन, 2020

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प्रवीण कुमार झा – खुशहाली का पंचनामा

यह यूरोप के देश नॉर्वे की डायरी है, जहाँ लेखक प्रवासित हैं। इसमें नॉर्वे के क़िस्सों के बीच भारत के क़िस्से गुँथे हुए हैं। इस बात की तफ़्तीश है कि दुनिया के सबसे खुशहाल देश में वाकई खुशहाली है भी या नहीं। अगर है, तो उसके सूत्र क्या हैं। उनमें से कौन से सूत्र भारत में मौजूद है। यह पुस्तक खूब पढ़ी जा रही है, और पढ़ाई भी जा रही है। इसे लिखने में शोध का प्रतिशत न के बराबर है, और यह अनुभवों पर आधारित है। डायरीनुमा होने के कारण लेखक की अपनी छाप अधिक मिलती है, कि उन्होंने क्या देखा, क्या महसूस किया।

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5. रिनैशाँ, ईसमाद प्रकाशन, 2021

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प्रवीण कुमार झा – रिनैशाँ

यह रोचक और संक्षिप्त इतिहास लेखन है, जिसमें अकादमिक गंभीरता कम है। जानकारियों के लबादे कम, और चीजों की समझ पर अधिक जोर है। भारत की वास्तविक महानता कहाँ छुपी है, और कहाँ ग़लतियाँ हुई है या हो रही है, उसका एक खाका है। यह पतली किताब है, जिसे एक घंटे में पढ़ा जा सकता है। इसके अंश सोशल मीडिया पर भी प्रकाशित हुए हैं।

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6. जेपीः नायक से लोकनायक तक, ईसमाद प्रकाशन, 2021

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प्रवीण कुमार झा – जेपी

यह भी संक्षिप्त इतिहास है, जिसमें आज़ादी से पहले और बाद के भारत की कहानी है। जयप्रकाश नारायण की सपाट जीवनी या स्तुति-गान न होकर यह कई बार आलोचना का रूप ले लेती है। इसमें गांधी, असहयोग आंदोलन, भारत छोड़ो आंदोलन और भूदान आंदोलन से होते हुए आपातकाल तक आना इतिहास के कई पहलुओं से बहुत जल्दी रू-ब-रू करा देता है। यह पतली किताब डेढ़ घंटे तक में पढ़ी जा सकती है, और इसके अंश भी सोशल मीडिया में प्रकाशित होते रहे।

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7. दास्तान-ए-पाकिस्तान, ईसमाद प्रकाशन, 2021

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प्रवीण कुमार झा – दास्तान-ए-पाकिस्तान

यह इतिहास भी संक्षिप्त इतिहास शृंखला में ही है, लेकिन उपरोक्त दोनों पुस्तकों से कुछ मोटी है। 1971 का युद्ध, विश्व जियोपॉलिटिक्स और बांग्लादेश निर्माण में इसके कई पृष्ठ खप गए। पाकिस्तान निर्माण से लेकर परवेज़ मुशर्रफ़ तक की ऊबड़-खाबड़ यात्रा को पाकिस्तान के नज़रिए से देखने का रिस्क उठाया गया है, जहाँ कई बार भारत की भूमिका पर प्रश्न है। इसके आधार भी पाकिस्तानी अखबार और वहाँ के इतिहासकार अधिक हैं। पाकिस्तान के आतंकवाद के गढ़ बनने की कहानी मसाला थ्रिलर जैसी दिखती है, जहाँ इतिहास दास्तान अधिक बन जाती है।

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8. केनेडीः बदलती दुनिया का चश्मदीद, ईसमाद प्रकाशन, 2022

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प्रवीण कुमार झा – केनेडी

यह पुस्तक जॉन एफ केनेडी की जीवनी ‘नहीं’ है, बल्कि अमरीका का इतिहास है। केनेडी और उनका परिवार उस इतिहास की एक धुरी की तरह चलती है, जिसमें अमरीका के बनने से लेकर शीत युद्ध तक का विवरण है। यह सोवियत, चीन और अमेरिका के साथ भारत-पाकिस्तान की जियोपॉलिटिक्स को समझने के लिए पढ़ी जा सकती है। साथ-साथ अमरीका में हो रहे सांस्कृतिक बदलाव, हिप्पी संस्कृति और अश्वेतों के आंदोलनों को रोचकता से देखा जा सकता है। केनेडी की हत्या इसे एक अलग ही मोड़ पर ले जाकर छोड़ती है, जिसमें माफ़िया है, पूँजीवाद है, फिदेल कास्त्रों हैं, एफबीआई है और अमरीका के कई रहस्य हैं।

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9. रूस, रशिया और रासपूतिन, वाणी प्रकाशन, 2022

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प्रवीण कुमार झा – रूस, रशिया और रासपूतिन

यह रूस के बनने से लेकर लेनिन तक का इतिहास है। कैसे एक मामूली नगर से यह सबसे बड़े देश में तब्दील होता गया? कैसे ज़ारशाही आयी? कैसे यह देश ईसाई बन गया? किन-किन आक्रमणकारियों से भिड़ंत हुई? ज़ारशाही के अपने षडयंत्र, और बदलते घटनाक्रम हज़ार वर्षों के इतिहास से बहुत तेज़ी से परिचय कराते हैं। इसका अंत होता है मार्क्सवाद के उदय और ज़ारशाही के अंत से। बहुत अधिक तथ्यों के जाल में न बाँध कर एक फास्ट-पेस्ड कहानी कही गयी है।

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10. भूतों के देश मेंः आइसलैंड, ईसमाद प्रकाशन, 2021

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प्रवीण कुमार झा – भूतों के देश मेंः आइसलैंड

यह एक अजूबे देश आइसलैंड पर आधारित संस्मरण कथा है। लेखक आइसलैंड के तांत्रिक विद्या को समझने के लिहाज़ से निकलते हैं, और वहाँ के भूत-प्रेत और अजीबोग़रीब मान्यताओं की तफ़्तीश करते हैं। यह यात्रा भूकंपों, ज्वालामुखियों, तूफ़ानों और बर्फ़ीली बारिशों के मध्य रोमांचक हो जाती है। यह लेखक की सबसे पतली और सबसे तेज़ किताब है, जिसे एक-डेढ़ घंटे में पढ़ा जा सकता है।

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11. नास्तिकों के देश में, ईसमाद प्रकाशन, 2021

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प्रवीण झा – नास्तिकों को देश में

लेखक प्रवीण झा शहरों और देशों के विचित्र पहलूओं में रुचि रखते हैं। आईसलैंड के भूतों के बाद यह अगला सफर नीदरलैंड के नास्तिकों की तफ़्तीश में है। इस सफर में वह नास्तिकों, गंजेड़ियों और नशेड़ियों से गुजरते वेश्याओं और डच संस्कृति की विचित्रता पर आधी नींद में लिखते नजर आते हैं। किताब का ढाँचा उनकी चिर-परिचित खिलंदड़ शैली में है, और विवरण में सूक्ष्म भाव पिरोए गए हैं। यह एक यात्रा-संस्मरण न होकर एक मन में चल रहा भाष्य है। भिन्न संस्कृतियों के साम्य और द्वंद्व का चित्रण है। इसी कड़ी में उनका सफर एक खोई भारतीयता का सतही शोध भी करता नजर आता है।

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12. इंका, एज़्टेक और माया, ईसमाद प्रकाशन, 2022

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प्रवीण कुमार झा – इंका, एज़्टेक और माया

लेखक माया, एज्टेक, इंका और अन्य मेसोअमरीकी सभ्यताओं की गाथा कहते हुए एक रोमांचक यात्रा पर ले जातेहैं। इस सुखीसंपन्न सभ्यता का इतिहास एक नया मोड़ लेता है, जब यूरोप से आया एक जहाज उनके तट पर आकरलगता है। एकएक कर उन सभ्यताओं का अंत जहाँ परतदरपरत रहस्य है, वहीं उनमें कई चेतावनियाँ भी छुपी हैं। साम्राज्यवाद की चाह, वैश्विक महामारी का प्रकोप और आस्थाओं का टकराव सदियों बाद भी किसी किसी रूपमें मौजूद है। इसलिए इन पन्नों को बारबार पलटने की ज़रूरत है।

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About Author

Praveen Jha is a Hindi author, who has primary interest in non-fiction writing, and written popular history books on Indian and World history. His book Coolie Lines on indentured labour is widely acclaimed. The book Wah Ustad based on Indian classical music won the Book Of The Year award in 2021 Kalinga Literature Festival.