बड़े नामचीन प्रकाशनों से कई पुस्तकें छपती है, लेकिन हर किताब की विज्ञापन या चर्चा नहीं हो पाती। जो लोग साहित्य के मंचों या कार्यक्रमों तक नहीं पहुँच पाते, उन्हें भी कई किताबों का पता नहीं लग पाता। यह पुस्तक राजकमल प्रकाशन से रज़ा पुस्तक माला के अंतर्गत 2019 में आयी। मैं संगीत की पुस्तकों पर यथासंभव ध्यान रखता हूँ, लेकिन यह किसी कारणवश देर से पता लगी। मैं घुमा-फिरा कर यह कह रहा हूँ कि इसमें प्रकाशक से लेकर वितरक की उदासीनता भी हो सकती है कि पाठक तक अच्छी पुस्तक नहीं पहुँचती।
पंचामृत में इंदौर-देवास क्षेत्र के पाँच अमृत हैं। पाँच संगीतकार। ऐसे संगीतकार जिन्होंने पहले से स्थापित घरानों से हट कर अपनी पहचान बनायी। इसमें मेरे प्रिय उस्ताद रजब अली ख़ान से शुरुआत है, जिनको मैंने अपनी पुस्तक ‘वाह उस्ताद’ में भी एक अध्याय समर्पित किया है। आपको संगीत में रुचि हो या न हो, उस्ताद के कैरेक्टर से ज़रूर मिलिए। उन पर तो फ़िल्म बन सकती है, जहाँ सर्वश्रेष्ठ बनने की ललक, स्वाभिमान, सनक, प्रतिस्पर्धा, परस्पर सम्मान सभी मिल जाएँगे। एक मसालेदार दृश्य है-
‘उज्जैन की एक महफ़िल में रजब अली ख़ान का गायन चल रहा था। ख़ाँ साहब ने उस दिन कुछ चढ़ा ली थी। तबला वादक मास्टर रामनारायण संगत कर रहे थे। वे भी भांग चढ़ा कर आए थे। महफ़िल अपने शबाब पर थी…अचानक सम पर आते ही खाँ साहब का पारा गरम हो गया। मास्टर रामनारायण ने चुटकी ली- खाँ साहब! आप लाल में हैं तो मैं भी हरी में हूँ’
अगले दो अध्याय उस्ताद अमीर ख़ान और पण्डित कुमार गंधर्व पर है। मुझे नहीं लगता कि उनके विषय में कुछ कहने की आवश्यकता है। उन पर जहाँ जो लिखा मिले, पढ़ लेना चाहिए। एक उपमा देने की ग़ुस्ताख़ी करूँ तो पहले अगर Musician’s musician (संगीतकारों के संगीतकार) हैं, तो दूसरे Born Musician (पैदाइशी संगीतकार)।
मेरी रुचि आखिरी दो अध्यायों में अधिक थी, क्योंकि उन पर मैंने पढ़ा-लिखा कम है। मेरी पुस्तक में उन दो विभूतियों (मामा साहेब और गोकुलोत्सव महाराज) की चर्चा न होने का मुझे क्षोभ है। इस कारण भी यह पुस्तक संग्रहणीय है क्योंकि लेखक ने ढूँढ कर, मिल कर, सुन कर उन पर विस्तार से लिखा है।
संगीत तो अथाह है, और मेरा सुझाव है कि कम से कम तीन महीने में संगीत से जुड़ी एक किताब अवश्य मंगाएँ। इस अनुशासन का कारण बताना कठिन है, लेकिन ये किताबें व्यक्तित्व को बेहतर बना सकती है। पंचामृत जैसे अमृत ढूँढते रहें, और संगीत सुनते रहें तो यूँ लगता है जैसे दुनिया इतनी भी तनावपूर्ण नहीं जितना लोग कहते हैं।
Author Praveen Jha shares his experience about book Panchamrit by Ashwini Kumar Dubey published by Rajkamal Prakashan