कुछ विषय ऐसे हैं जिसमें हर कोई विशेषज्ञ है, और कोई विशेषज्ञ नहीं। जैसे एक समय क्रिकेट पर गहन विमर्श किसी भी चाय पर दुकान पर मिल जाता, उसी तरह गाँव में थोड़ा-बहुत पौराणिक विमर्श कोई भी कर सकता था। कथाएँ या तो सुनी होती, या कल्याण आदि पत्रिका में पढ़ी होती, जो बाद में टीवी धारावाहिक आदि से रिवाइज होने लगी। इस पुस्तक की अधिकांश कथाएँ भी स्मृति में कहीं न कहीं दर्ज थी, लेकिन उसके कुछ नाम और संदर्भ भूलने लगा था।
आशुतोष जी पारंपरिक पौराणिक लेखक हैं, अपने पिता के साथ सह-लेखन भी कर चुके हैं, और यूँ लगता है कि इस विधा में बचपन से डूबे हुए हैं। इसलिए ऐसे कठिन और कुछ हद तक विवादित विषय को लेकर सहज भी हैं। अन्यथा पुराणों पर दो टूक लिखने पर भी भय रहता है कि किसी स्वघोषित धर्म-रक्षक को बुरी न लग जाए।
इंद्र की छवि जो जनमानस में रही है, वह धूसर रही है, और इस कारण इससे आज की लोकतांत्रिक दुनिया में रिलेट करना आसान है। पुस्तक के अनुसार देवराज पुरंदर में सदाचार और लांपट्य का मिश्रण रहा है, जैसा आज के राजनेताओं पर भी तंज किया जाता है। अपनी सत्ता बचाए रखने के लिए पुरंदर द्वारा किए गए उपक्रम किसी भी दिशा में चरम तक पहुँचते हैं। वहीं पुरंदर में अहंकार, लोभ और काम-वासना की भी प्रचुरता है, जो मनुष्यों में भी दिखती है। ऐसे व्यक्ति को केंद्र में रख कर, उनकी कथाओं का पाठ करना एक रोचक अनुभव रहा।
संयोग से शर्मिष्ठा पर आधारित उपन्यास पिछले वर्ष पढ़ी थी, तो उस सातत्य में इंद्र भी आ गए, हालाँकि दोनों के कलेवर अलग हैं। आशुतोष बहुत ही सरल और जनप्रिय भाषा में लिखते हैं, जैसे कोई बुजुर्ग मुस्कुराते हुए बच्चों को बूझा रहे हों। यह बात अवश्य है कि इंद्र-कथा की एज-रेटिंग 13 वर्ष से ऊपर है, लेकिन उसका कहन अश्लील नहीं लगता।
इन कथाओं का प्रगतिवादी आकलन भी हो सकता है, भले नव-प्रगतिवाद कई बार धर्म से द्वंद्व में दिखता है। इंद्र-कथा में ट्रांस-जेंडर, समलैंगिकता, और यहाँ तक कि ऐसे संदर्भ मिलेंगे कि गर्भधारण अगर पुरुष करे तो क्या हो? स्त्री अपनी इच्छाओं के प्रति कितनी स्वतंत्र है? यह प्रश्न भी है कि अगर अ-ब्राह्मण शास्त्रज्ञ बन जाएँ, तो क्या हो, और उसका उत्तर प्रगतिवादी दिशा में दिखता है।
अब अन्य भेद नहीं खोलते हुए, कुछ प्रश्न रखता हूँ, जिसके उत्तर इस पुस्तक में मिल जाएँगे। आप टिप्पणी में बता सकते हैं।
1. कर्ण का जन्म-नाम क्या था, और कर्ण नाम किसने दिया?
2. किस असुर-वध के बाद कृष्ण का नाम मुरारी पड़ा?
3. अयोध्या के किस राजा ने स्वयं गर्भधारण कर एक पुत्र को जन्म दिया?
4. बाली और सुग्रीव के मूल पिता कौन (या कौन-कौन) थे?
5. इंद्र एक हैं या अनेक? यह नाम है या पद?
[यह पुस्तक मंजुल पब्लिशिंग हाउस से प्रकाशित और सभी माध्यमों से उपलब्ध है। अंग्रेज़ी अनुवाद भी हो चुका है जो स्वयं आशुतोष जी ने किया।]Author Praveen Jha shares his experience about reading book Indra.
Books by Ashutosh Garg
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