यूँ तो किंडल पर कोई भी बुक प्रकाशित कर सकता है। आप चाहे तो यूँ ही किसी बच्चे से की-बोर्ड पर रगड़वा लें, और अमेजन किंडल पर डाल दें, छप जाएगा। उनके पास कोई संपादकीय बोर्ड नहीं है। इसमें अपने सामान की जिम्मेदारी लेखक की ही है। किंडल यह शुरूआती काम मुफ्त में करता है। हाँ! अगर यह बिक गया, तो हिस्सेदारी लेता है।
कैसे प्रकाशित करें?
सरल उत्तर यही है कि किंडल अमेजन की साइट https://kdp.amazon.com पर जाएँ, अपनी पांडुलिपि अपलोड करें, एक कवर चुन लें, और छाप लें। चौबीस घंटे के अंदर आप विश्व के सभी अमेज़न पोर्टल पर होंगें।
किंडल पर क्या और क्यों प्रकाशित करें?
- तीस हजार शब्द से कम की किताब प्रकाशक अक्सर नहीं लेते। कविता और कथा-संग्रह अच्छे प्रकाशक कम छापते हैं।
- आपकी लिखने की गति अगर बहुत ही ज्यादा है तो इतने किताब छपने से रहे। अच्छे प्रकाशक एक किताब पर छह महीने से कुछ वर्ष तक लगा सकते हैं। इतने में आपने बीस किताबें लिख दी, जो बीस वर्ष में छपेगी।
- मेरा मानना है कि कविता-संग्रह डिज़िटल ही हो। हालांकि कवियों को सम्मान की भी अपेक्षा होती है, जो प्रकाशक बेहतर दिलवाते हैं। लेकिन बिक्री के हिसाब से फिलहाल मुझे यह प्रकाशन पर बोझ लगता है।
- लुगदी लेखन, क्राईम थ्रिलर, सीरीज़ लेखन, अश्लील लेखन के नए लेखकों के लिए किंडल गजब का अवसर हो सकता है।
- रोचक कथेतर लेखन जैसे फिल्म, खेल, संगीत. इतिहास इत्यादि भी बढ़िया चल सकते हैं। बशर्तें कि आप ठीक-ठाक विशेषज्ञ हों।
किंडल से मिलेगा क्या?
किंडल या कोई भी ई-बुक प्रकाशक (जगरनॉट, नॉटनुल इत्यादि) मोटी और पारदर्शी रॉयल्टी देते हैं। 35 से 70 प्रतिशत तक। आम प्रकाशक 10 प्रतिशत देते हैं। यानी उधर सात बिकी, इधर एक, बराबर। किंडल की एक और स्कीम है- kdp select जिसमें जुड़ने के बाद आपकी किताब kindle unlimited सदस्यों को मुफ्त मिलेगी, लेकिन आपको रॉयल्टी मिलती रहेगी। फर्ज करिए कि भारत में कई लोगों ने यह किंडल अनलिमिटेड सदस्यता ले ली, और आपकी किताब बस यूँ ही मुफ्त के नाम पर पढ़ ली। वो चाहे कुछ पन्ने पढ़ कर पटक दें, आपको प्रति पृष्ठ के हिसाब से मिल जाएँगे।
क्या भारत के लिए उपयुक्त है?
इसका जवाब पता नहीं। जब पूरी दुनिया में चल ही रहा है तो भारत क्या मंगल ग्रह से है? अंग्रेजी पढ़ने वाला बड़ा वर्ग पिछले पांच वर्षों से भारत में भी किंडल पर किताब पढ़ रहे हैं।
यह कार्य कैसे बेहतर किया जाए?
लिखा अच्छा जाए। ‘प्रूफ़-रीड’ अच्छी कराई जाए। ऑनलाइन मार्केटिंग टूल का उपयोग किया जाए। काबिल ग्राफिक डिज़ाइनर की भी मदद ली जाए। उनसे संपर्क करें, जो यह कार्य करते रहे हैं।
किंडल पांडुलिपि कैसे बनाएँ?
- पांडुलिपि वर्ड फाइल में हो, यानी .doc फॉरमैट में। फॉन्ट कोई भी मनमर्जी चुन सकते हैं। जैसे- Devnagari Sangam या Arial Unicode इत्यादि।
- अध्यायों के शीर्षक के लिये Heading 1 फॉन्ट का प्रयोग करें (Title फॉन्ट नहीं)।
- Alignment को justify न करें, Left align ही रखें।
- हर अध्याय के बाद Page break/Chapter break (insert पर क्लिक कर) का प्रयोग करें।
- किसी भी छपी हुई किताब का सहारा लेकर कॉपीराइट पेज बनायें।
- कवर डिजाइन कर लें/करवा लें तो बेहतर
- पुस्तक में अगर कोई चित्र (कॉपीराइट फ्री) हो तो उसे उचित स्थानों पर लगा दें।
- Kindle create सॉफ़्टवेयर बेहतर किताब बनाने में मदद करेगा। इसे डाउनलोड कर लें।
Kindle Create सॉफ़्टवेयर का उपयोग
Kindle Create Software मुफ्त है। यह किताब की किंडल अनुसार फॉर्मैट बनाने में मदद करता है।
1. अगर किताब देवनागरी लिपि में लिखी हो, तो भाषा Hindi सेलेक्ट करें।
2. अध्याय, टेबल ऑफ कंटेट्स, चित्र आदि सेट कर लें।
3. Preview अच्छी तरह देख लें कि किंडल पर किताब कैसी लगेगी।
4. किंडल क्रिएट में पुस्तक के फ्रंट और बैक मैटर बनाने के भी विकल्प हैं।
पुस्तक अमेजन पर अपलोड कैसे करें?
- kdp.amazon.com पर लॉगिन करें
- किताब के सभी डिटेल डाल दें। हिन्दी किताब हो, तो भी नाम दोनों भाषाओं (अंग्रेज़ी और हिन्दी) में लिखें। ढूँढने में आसानी होगी
- Keywords में यथासंभव शब्द भर दें (अंग्रेज़ी में), जिससे आपके किताब के कंटेंट गूगल आदि पर सर्च किये जा सके।
- Description में भी कहानी गढ़ने से अधिक कीवर्ड्स डालने का प्रयत्न करें। इसके लिए HTML कोड भी लिख सकते हैं, जो मुफ्त जेनरेट की जा सकती है इस लिंक से- Kindlepreneur
- Kindle Create द्वारा तैयार .kpf फाइल अपलोड करें। कवर अपलोड करें। दाम रख लें। किताब को KDP Select में Enroll करने का सुझाव दूँगा, लेकिन वह वैकल्पिक है।
- Save and Publish
आपकी किताब तीन-चार घंटे में ऑनलाइन उपलब्ध होगी। आप कभी भी बिक्री, रॉयल्टी और कितने पृष्ठ पढ़े गए, देख सकते हैं। अगर कोई सुधार (प्रूफ़ की ग़लती आदि) हो तो कभी भी ठीक कर सकते हैं।
फॉर्मैटिंग उदाहरण के लिए मेरी किताब Gandhi Parivaar देख सकते हैं। उसकी फॉर्मैटिंग ठीक है।
Author Praveen Jha shares his experience about Kindle publishing.